शर्मनाक : जिनके लिए ताली और थाली बजाई, उनके पास ही नहीं है रक्षा जैकेट और मास्क

यह देश और सरकार की निर्लज्जता का हरा भरा और भव्य चित्र है! जिन डॉक्टरों के लिए ताली और थाली बजाई जा रही है उनके पास करोना से बचाव के लिए रक्षा जैकेट नहीं है। वे हाथ से प्लास्टिक काट कर रक्षा जैकेट बना रहे हैं। और विपरित स्थितियों में मरना कबूल कर के सेवा कर रहे हैं।

डॉक्टरों की जान को कितना खतरा है, जिसका अंदाजा ताली बजाते समुदाय को नहीं है। न ही सरकार को ही है। नहीं तो वे 19 मार्च तक स्वास्थ्य सेवा के सामान निर्यात न कर रहे होते। और अनेक बार की राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय चेतावनी के बाद भी ट्रंप के स्वागत और विभाजन की दीवार बनाने में ही न लगे होते।

डॉक्टर वैसे भी कम हैं देश में। अपने डॉक्टरों को बिना दुरुस्त रक्षा जैकेट के काम पर लगाए रखना अत्याचार ही नहीं अमानवीय भी है।लेकिन कहा किससे जाए। जो ताली बजा रहे हैं या जो ताली बजवा रहे हैं। या जो सिर्फ अपने उत्थान में लगे हैं।

यह फोटो अपने दिमाग में फ्रेम कर लें और इसके साथ ही यह ध्यान में रखें कि यह भारत का फटेहाल मान चित्र है जो भारत मां है या भारत पिता है। लेकिन है खतरे में घिरा! यह युग्म एक रूपक है।

पोस्ट लाइक और तारीफ न करें। यह बात लोगों तक पहुंचाएं। और बताएं की कितना तगड़ा विकास हुआ है उसका यह हरा भरा चित्र है। मैं पंद्रह लाख के कोट की बात नहीं कर रहा। उसकी बात करने से हासिल भी तो कुछ नहीं हो रहा! मैं पटेल के लगभग चार हजार करोड़ लागत वाली मूर्ति की बात करके उनका अपमान नहीं कर सकता। सरदार पटेल को क्या पता की उनके देश पर कैसा खतरा विकसित होकर छाया है।

बोधिसत्व, मुंबई (फ़ेसबुक से साभार)

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