6 साल से सड़ रही थी कोरोना की जांच मशीन, बीमारी आई तो ट्रेनिंग लेने गए कर्मचारी

Patna: बिहार के दरभंगा में को’रोना वा’यरस की जांच संभव थी लेकिन सरकारी उदासीनता के कारण ऐसा नहीं हो सका. जिले के सदर अस्पताल में 6 वर्ष पहले करोड़ों रुपए की लागत से खरीदी गई चार मशीनें अभी तक धूल फांक रही हैं. अस्पताल में सरकारी पैसे से मशीनें तो आ गई लेकिन इसको ऑपरेट करने वाले टेक्नीशियन नहीं आ सके.

दरअसल विश्व के कई देश इस समय को’रोना (Covid-19) जैसी बी’मारी से लड़ रहे हैं. भारत में भी इस बी’मारी का खास असर देखने को मिल रहा है. इस बीच बिहार में इस बीमा’री को लेकर स्वास्थ्य महकमे की एक बड़ी चूक सामने आई है. जहां दरभंगा जिले के सदर अस्पताल में 6 वर्ष पहले करोड़ों रुपए की लागत से खरीदी गई चार मशीनें अभी तक धूल फांक रही हैं. ऐसे में जब बिहार में को’रोना का प्रभाव पड़ा तो स्वास्थ्य विभाग हरकत में आया जिसके बाद प्रशिक्षण के लिए जहां डॉक्टरों की टीम को लखनऊ भेजा गया है वहीं जिलाधिकारी ने कहा है कि तत्काल दरभंगा सैंपल कलेक्शन सेंटर को शुरू किया जाएगा बशर्ते कि बिहार सरकार और भारत सरकार मशीन को उपयोगी माने.

सफेद हाथी साबित हो रहीं कीमती मशीनें

दरभंगा मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग के वायरोलॉजी लैब बने हुए वर्षों बीत गए. लैब में तमाम मशीनें तो उपलब्ध हैं पर किट की कमी व प्रशिक्षण के अभाव में अधिकतर कीमती मशीनें सफेद हाथी साबित हो रही हैं. यह जानकर आश्चर्य होगा कि को’रोना वाय’रस (कोविड-19) की जांच के लिए वायरोलॉजी लैब में एक-दो नहीं, बल्कि चार रियल टाइम पीसीआर (आरटीपीसीआर) मशीनें उपलब्ध हैं. किट के अभाव में और तक्नीशियनों को प्रशिक्षण नहीं दिए जाने के कारण चारों मशीनें धूल फांक रही हैं.

सैंपल नहीं भेजना पड़ता बाहर

देश में को’रोना वा’यरस को लेकर बनाए गए 58 कलेक्शन सेंटरों की सूची में दरभंगा मेडिकल कॉलेज के माइक्रोबायोलॉजी विभाग का नाम 10वें स्थान पर है. समय रहते टेक्नीशियनों को आरटीपीसीआर मशीन के संचालन की ट्रेनिंग दे दी जाती तो संकट की इस घड़ी में कोविड-19 वायरस की जांच के लिए मरीजों का सैंपल पुणे व पटना स्थित राजेन्द्र मेडिकल रिसच इंस्टीच्यूट में नहीं भेजना पड़ता.

कॉलेज के प्राचार्य बोले

दरभंगा मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. एचएन झा से वायरोलॉजी विभाग में चार आरटीपीसीआर मशीनों के रहने की जानकारी मिलने पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी हरकत में आए. कोविड-19 वायरस की जांच के लिए प्रशिक्षित करने के लिए माइक्रोबायोलॉजी विभाग के दो तक्नीशियनों को लखनऊ भेजा गया है. दोनों तक्नीशियन लखनऊ के लिए बुधवार को यहां से रवाना हो गए हैं. लखनऊ के आईसीएमआर केन्द्र में दोनों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है वहीं विभाग के द्वारा किट्स की उपलब्धता के लिए आग्रह किया गया है जिसके बाद कोरोना की जांच यहां शुरू हो जाएगी.

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