को’रोना ने दैनिक मजदूरों के काम पर लगाई रोक, कर्ज लेकर करना पड़ रहा गुजारा

Patna: वैश्विक महामारी को’रोना ने दैनिक मजदूरों के काम पर ब्रेक लगा दिया है. मजदूरों के बीच भयावह स्थिति उत्पन्न हो चुकी है. मजदूर वर्ग के लोग खाने-पीने के मोहताज हो गए हैं. आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट चुके हैं. नौबत यह आ गई है कि किसी-किसी से हजार-दो हजार कर्ज लेकर अपना गुजर-बसर करने पर मजबूर हैं. कुछ मजदूर शहर छोड़ गांव की ओर पलायन करने की जद्दोजहद में हैं.

शहर के हर चौक-चौराहे पर रोजाना सुबह-सुबह मजदूरों की चौकड़ी लगती है. ये मजदूर काम की तलाश में आते हैं. कोई इनमें राजमिस्त्री होता तो कोई मजदूर. इनकी मजदूरी 400 से 600 रुपए तक होती है. इससे इनका गुजर-बसर चलता है. आज कोरोना वायरस की वजह से इनके रोजगार पर एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है. कंकड़बाग के अशोक नगर, रामकृष्णानगर, आरएमएस कॉलोनी, कदमकुआं के भट्टाचार्या रोड, दिनकर चौक समेत अन्य इलाकों के मजदूरों के हाल को जानने की कोशिश की गई.

वैशाली जिले के राघोपुर के पंचानंद पासवान ने अपना दर्द बयां किया. कहा कि हम घर की ढलाई का काम करते हैं. होली बाद घर से लौटे हैं. उस समय से अब तक एक काम भी नहीं मिला है. पहले कई मकानों में काम किए थे. वहां भी आधे-अधूरे पर काम बंद है. कहा जा रहा कि अभी काम नहीं कराना है. पटना में 1992 से काम कर रहे हैं. आज तक इस तरह की नौबत सामने नहीं आई थी. खाने-पीने पर आफत हो गई है. अब यहां रहना मुश्किल हो रहा है. घर की ओर पलायन करना होगा.

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नालंदा के अरविंद प्रसाद चंद्रवंशी राजमिस्त्री का काम करते हैं. इनका कहना है कि होली के पहले से काम बंद है. रोज चौक पर काम की तलाश में आते और पूरे दिन बैठकर वापस घर लौट जा रहे हैं. खाना-पीना पर आफत आ गई है. रोज 50 से 100 रुपए कर्ज लेकर किसी तरह जीविका चला रहे हैं. किराए के मकान में रह रहे हैं. किराया कैसे चुकता करेंगे, मुश्किल लग रहा है. मकान मालिक किराये के लिए तगादा कर रहा है. यह बोल कर रह रहे कि कमाएंगे तो देंगे. मसौढ़ी के मंटू कुमार ने बताया कि काम रोज नहीं मिल रहा है. एक दिन कमाते तो चार दिन खाते हैं. 1700 रुपए रेंट देकर पटना में रह रहे हैं. बहुत मुश्किल से जी रहे हैं.

नालंदा के मुकेश कुमार प्लम्बर मिस्त्री हैं. इनका कहना है कि बीते 15 दिनों से बैठे हैं. कोई काम नहीं मिल रहा है. दो छोटी-छोटी बच्चियां स्कूल में पढ़ रही हैं. किराये के मकान में रह रहे हैं. साढ़े पांच हजार रुपए किराया देना पड़ रहा है. कैसे जीविका चलेगी, उसको लेकर परेशान हैं. पहले रोजाना एक हजार रुपए कमा लेते थे.

भागलपुर के विकास कुमार पेंटिंग का काम करते हैं. इन्होंने बताया कि कोरोना का कहर जबरदस्त बरपा है. रोजी-रोटी छिन चुकी है. पेंटिंग का काम नहीं मिल रहा था. कुछ दिनों से रिक्शा चला रहे हैं. अब रिक्शे के लिए भी सवारी नहीं मिल रही है. रिक्शे का किराया 500 रुपए देना है और कमा रहे सौ रुपए. ऐसे में अब कैसे रिक्शा चलाएंगे. काफी परेशान हैं. कर्ज लेकर जी रहे हैं.

दनियावां के राजीव साहू ठेला चलाते हैं. इनका कहना है कि बीते 20 दिनों से बैठे हैं. रोज ठेला लेकर आते और शाम में बिना कमाए लौट जाते हैं. घर-परिवार चलाना मुश्किल हो रहा है. इसी तरह सुजीत कुमार, श्याम प्रसाद साव, रवीन्द्र कुमार चंद्रवंशी समेत अन्य मजदूरों ने अपनी यही व्यथा सुनाई. एक्टू के राज्य सचिव रणविजय कुमार ने सरकार से मांग की कि कोरोना वायरस के कारण बेरोजगार मजदूरों को बेरोजगारी भत्ता मिले. मजदूर वर्ग शहर से गांव की ओर पलायन कर रहे हैं.

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