मोदी कैबिनेट में शामिल होगी JDU, नीतीश को किसी भी कीमत पर साथ रखना चाहता हैं PM मोदी

तीन राज्यों में चुनावी हार और CAA, NRC पर झटके के बाद बीजेपी ने बदली रणनीति

तीन राज्यों के विधानसभा चुनाव में मात और संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्ट्रर फॉर सिटिजन पर झटके के बाद बीजेपी ने अपनी रणनीति में बदलाव किया है। बीजेपी अब अपनी जिद्द को छोड़ क्षेत्रीय दलों को भाव देनी लगी है। यही नहीं केंद्रीय स्तर पर भी बदलाव किए जाने की उम्मीद है। जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) जल्दी मोदी कैबिनेट में शामिल हो सकता है।

बीजेपी अपनी रणनीति में बदलाव ऐसे समय पर कर रही है जब बिहार में चुनाव नजदीक हैं। बिहार में पार्टी किसी भी कीमत पर अपनी सहयोगी जेडीयू को नाराज करने के मूड में नहीं है। जेडीयू का सीएए और एनआरसी पर अबतक का रवैया सरकार के खिलाफ रहा है। ऐसे में जेडीयू को अपने साथ बनाए रखने के लिए बीजेपी केंद्रीय कैबिनेट में जेडीयू नेता राजीव रंजन (लल्लन) सिंह और राम चंद्र प्रसाद सिंह को जगह दे सकती है। बीजेपी सूत्रों के मुताबिक बिहार में चुनाव से पहले अपने सहयोगी को मजबूती के साथ जोड़े रखना चाहती है।

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‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में छपी एक खबर के मुताबिक बीजेपी के नेता ने कहा है कि अगर जेडीयू को कैबिनट का हिस्सा बनाया जाता है तो यह दोनों दलों को विधानसभा चुनाव से पहले ‘सीमेंट’ की मजबूती की तरह जोड़कर रखेगा। बीजेपी अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह बिहार के मुख्यमंत्री और जेडीयू अध्यक्ष नीतीश कुमार का नाम सीएम के चेहरे के रूप में पहले ही घोषित कर चुके हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि बीजेपी बिहार में त्रिकोणीय मुकाबला नहीं चाहती, अगर ऐसा होता है तो यह आरजेडी के लिए सत्ता में वापसी का एक सुनहरा मौका बन सकता है।

हाल में बीजेपी लीडरशिप द्वारा एनआरसी पर जोर देने के बाद राजनीतिक पर्यवेक्षक भ्रमित हैं। राज्य में किस रणनीति पर आगे बढ़ा जाए और किसे साइडलाइन किया जाए यह पेचीदा बन गया है। हालांकि विपक्षी दल इसे सत्ता में वापसी का एक सुनहरा अवसर मान रहे हैं। जेडीयू ने बीते महीने सीएए की आलोचना के बावजूद संसद के दोनों सदनों में बीजेपी का साथ दिया। जेडीयू के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर ने कहा है कि जेडीयू को बिहार में बीजेपी से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए।

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