मोदी सरकार में रेलवे का निजीकरण शुरू, PVT कंपनी तय करेगी रेल किराया और स्टॉपेज

मोदी सरकार अब खुलकर रेलवे का निजीकरण करने पर उतर आई है प्राइवेट ऑपरेटरों को 100 रेल-रूटों पर 150 प्राइवेट ट्रेनों के परिचालन की अनुमति दे दी गयी हैं पीटीआई के मुताबिक निवेश को लेकर ‘निजी भागीदारी: यात्री रेलगाड़ियां’ शीर्षक से एक डिस्कशन पेपर लाया गया है. जिसमे कहा गया है कि इन 100 मार्गों पर निजी इकाइयों को 150 गाड़ियों के परिचालन की अनुमति देने से 22,500 करोड़ रुपये का निवेश आएगा.

खास बात यह है कि इन प्राइवेट ऑपरेटर को अपनी गाड़ियों में बाजार के अनुसार किराया वसूल की छूट होगी. वे इन गाड़ियों में अपनी सुविधा के हिसाब से विभिन्न श्रेणियों की बोगियां लगाने के साथ-साथ रूट पर उनके ठहराव वाले स्टेशनों का भी चयन कर सकेंगे………अभी तक तेजस में प्राइवेट आपरेटर को किराया तय करने के अलावा ट्रेन के भीतर अपना टिकट चेकिंग स्टाफ तथा कैटरिंग एवं हाउसकीपिंग स्टाफ रखने की छूट है……. रेलवे अपने इंफ्रास्ट्रक्चर एवं रनिंग स्टाफ का उपयोग करने के लिए प्राइवेट आपरेटर से हॉलेज शुल्क वसूल रहा है लेकिन लेकिन अब जो 150 ट्रेनों को संचालित करने की योजना बनाई गई है इसमे रेलवे बोर्ड सीधे निजी आपरेटरों के साथ सीधे कंसेशन एग्रीमेंट करने जा रहा है अब प्राइवेट आपरेटरों को रोलिंग स्टॉक के चयन में भी छूट मिलने जा रही है प्राइवेट ऑपरेटर चाहे तो विदेशों से ट्रेन का आयात कर संचालन कर सकता है उस पर भारतीय रेल के कारखानों में बनी ट्रेन का उपयोग करने की शर्त लागू नहीं होगी।

यानी देश के बड़े बड़े रेलवे कारखाने पर भी जल्दी ताला डलने वाला है

सबसे बड़ी बात तो यह है कि देश मे पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस एक्सप्रेस के नाम से दिल्ली से लखनऊ के बीच चलाई जा रही हैं, इस ‘तेजस एक्सप्रेस’ के मुनाफे के बारे में झूठी खबरे फैलाई गई ………..यह कहा गया कि इसे एक महीने में ही 70 लाख रुपए का मुनाफा हुआ लेकिन असलियत कुछ दिनों बाद संसद में उठाए गए सवाल के उत्तर से बाहर आई जिसमे कहा गया कि तेजस को 447.04 लाख रुपये की कुल आमदनी हुई और 439.31 लाख रुपये के खर्च हुआ इसका अर्थ यह है कि महज 7.73 लाख रुपये का मुनाफा हुआ है…….

इसका ऑक्यूपेंसी लेवल भी मात्र 62 प्रतिशत रहा जबकि इसी रूट पर चलने वाली शताब्दी एक्सप्रेस का ऑक्यूपेंसी लेवल 90 से 100 के बीच रहा है

रेलमंत्री कह रहे थे कि दिल्ली-लखनऊ तेजस एक्सप्रेस को प्रायोगिक आधार पर चलाया गया है, यदि यह सच है तो तेजस एक्सप्रेस का प्रयोग तो असफल हो गया है तो फिर कैसे 150 प्राइवेट ट्रेन को चलाने की अनुमति दी जा रही हैं

-गिरीश मालवीय

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *