सस्ते-चटक रंग से ना खेलें होली, वरना पड़ सकता है लेना का देना

Patna: होली है तो रंग, गुलाल व अबीर की बौछार तो होगी ही, पर आपकी थोड़ी-सी असावधानी खुशियों के इन रंगों को बदरंग कर सकते हैं. चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार रासायनिक रंग व अबीर लोगों को त्वचा कैंसर समेत तमाम प्रकार के संक्रमण व गंजा तक कर सकते हैं. मुंह के अंदर या कोमल अंगों के लिए भी रासायनिक रंग घातक हैं. यदि आप प्राकृतिक रंगों से होली मनाते हैं तो सबसे बेहतर, लेकिन यदि आप बाजार में बिक रहे सस्ते, चटक और मिलावटी रासायनिक रंगों का प्रयोग कर रहे हैं तो डॉक्‍टरों की बातों पर जरूर ध्यान दें.

80 परसेंट रंग उद्योगों में काम आने वाला रसायन है. ये न तो सेहत के अनुकूल होते हैं और न ही पर्यावरण के. ये रंग मानव इस्तेमाल को ध्यान में रख कर बनाए ही नहीं गए हैं. व्यापारी सस्ते के फेर में औद्योगिक कचरे से बनने वाले रंग, बेकार हो चुकी डाई और जहरीले रसायन तक को बेचने से नहीं हिचकते हैं. कई दुकानदार पिछले वर्ष का बचा माल भी बेच रहे हैं जो स्वास्थ्य के लिए और भी घातक है.

जोखिम तब और बढ़ जाता है जब इन रंगों को तेल और तरल पदार्थों से मिलाकर एक-दूसरे पर लगाया जाता है. इससे बालों का झडऩा व खुरदरापन, त्वचा में जलन व खुजली, चकते, एलर्जी, आंखों में संक्रमण व दृष्टिदोष से लेकर कैंसर जैसी समस्याएं हो सकती हैं. आजकल बाजारों में हैवी मैटेरियल से बनी ऐसी अबीर बिक रही है जो कि रंगों से ज्यादा नुकसानदेह है. इससे सामान्यत: पूरे शरीर में लाल रंग के चकते और श्वास लेने में परेशानी से समस्याएं सामने आती हैं. ऐसे में इस साल ध्यान से होली खेले.

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