30 जनवरी को मनाया जाएगा सरस्वती पूजा, बसंत पंचमी के दिन ना करें ये 5 काम, रूठ सकती हैं मां

हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष को वसंत पंचमी मनाई जाती है। इस बार यह तिथि 30 जनवरी, बुधवार को पड़ रही है। इस दिन से वसंत ऋतु का आरंभ माना जाता है। इसे शुभ दिन माना जाता है और किसी भी अच्छे कार्य की शुरुआत बिना किसी मुहूर्त की जा सकती है। इस दिन सरस्तवती पूजन का भी महत्व है। अबूझ मुहूर्त होने के कारण इस दिन खूब शादियां होती हैं। वसंत पंचमी पर पीले वस्त्र पहनने, हल्दी से सरस्वती का पूजन करने भी विधान है। पीला रंग इस बात का संकेत है कि फसल पकने वाली हैं। पीला रंग समृद्धि का सूचक भी कहा गया है। मां शारदा के मंदिरों में विशेष अनुष्ठान किए जाते हैं।

हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान विष्णु की आज्ञा से इसी दिन ब्रह्मा जी ने मनुष्य योनि की रचना की थी, लेकिन शुरू में इन्सान बोलना नहीं जानता था। धरती पर सब शांत और निरस था। ब्रह्माजी ने जब धरती को इस स्थिति में देखा तो अपने कमंडल से जल छिड़कर एक अद्भुत शक्ति के रूप में चतुर्भुजी सुंदर स्त्री को प्रकट किया। इसके हाथ में वीणा थी। यह शक्ति को ज्ञान की देवी मां सरस्वती कहा गया। मां सरस्वती ने जब अपनी वीणा का तार छेड़ा तो तीनों लोकों में कंपन हो गया और सबको शब्द तथा वाणी मिल गई। यही कारण है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन मां सरस्वती का पूजन करने से ज्ञान की प्राप्ति होती है।

वसंत पंचमी के दिन पवित्र नदियों में स्नान का महत्व भी बताया गया है। यह त्योहार सम्पूर्ण भारत के साथ ही पश्चिमोत्तर बांग्लादेश, नेपाल में बड़े उल्लास से मनाया जाता है। इस दिन स्त्रियां पीले वस्त्र धारण करती हैं।

बसंत पंचमी को न करें ये पांच गलतियां– 1- बसंत पंचमी को काले रंग के कपड़े नहीं पहनने चाहिए। आज के दिन पीले वस्त्र धारण करना शुभ माना जाता है। 2- बसंत पंचमी के दिन मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। संभव हो तो आज के दिन स्नान और पूजा के बाद सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए। 3- बसंत पंचमी के दिन पेड़-पौधों की कटाई नहीं करनी चाहिए। 4- बसंत पंचमी के दिन किसी से वाद-विवाद या क्रोध नहीं करना चाहिए। क्योंकि माना जाता है कि बसंत पंचमी को कलह होने से पितृों को कष्ट पहुंचता है। 5- बसंत पंचमी के दिन बिना नहाए कुछ भी नहीं खाना चाहिए। इस दिन नदी, सरोवर या पास के तालाब में स्नान करना चाहिए और मां सरस्वती की पूजा अराधना के बाद ही कुछ खाना चाहिए।

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