सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला- जनता के पैसे से न हो नेताओं का प्रचार, सरकारी विज्ञापन पर लगे रोक

सुप्रीम कोर्ट के पैनल ने कहा-जनता के पैसे से न हो नेताओं का प्रचार
नई दिल्ली : राज्य सरकारों के संदर्भ में यह शिकायत आम है कि वे जनता के पैसे से सत्ताधारी दल के नेताओं का महिमामंडन करती हैं। लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त एक पैनल ने राज्यों से कहा है कि उन्हें यह सिलसिला बंद करना चाहिए। पैनल ने राज्यों से कहा है कि उन्हें विज्ञापनों की सामग्री की निगरानी के लिए नियामकों की नियुक्ति करनी चाहिए। अगर राज्य खुद अपने स्तर पर समिति नियुक्त करने के इच्छुक नहीं हैं तो वे केंद्र सरकार की तीन सदस्यीय सामग्री निगरानी समिति को इस बारे में अधिकार दे सकते हैं।

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पैनल का यह कदम इस लिहाज से अहम है, क्योंकि दिल्ली में आठ फरवरी को विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। विगत में दिल्ली, राजस्थान समेत कुछ अन्य राज्यों में सरकारी धन से सत्ताधारी पार्टी के नेताओं के प्रचार की शिकायतें सामने आई थीं। इसी सिलसिले में तीन सदस्यीय केंद्रीय पैनल ने सूचना एवं प्रसारण मंत्रलय से कहा है कि राज्यों को जल्दी से जल्दी विज्ञापन की सामग्री के लिए नियामकों की नियुक्ति के लिए निर्देश दिया जाए।

अगर वे ऐसा करने में असफल रहते हैं तो सुप्रीम कोर्ट में एक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल की जाएगी। इससे राज्यों को अवमानना की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।

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