चीन मामले पर PM मोदी और अमित शाह से RSS नाराज, कहा-किसी भी कीमत पर ना हो यु’द्ध
चीन से तनाव पर मोदी सरकार के कदमों पर खुश नहीं RSS, निपटने के लिए बना रहा ये रणनीति
भारत और चीन के बीच लद्दाख में पिछले दो महीने से त’नाव जारी है। इसे लेकर विपक्ष ने सरकार पर कई आरोप लगाए हैं। विपक्ष का कहना है कि सरकार ने चीन के साथ त’नाव को ठीक से नहीं संभाला है। अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तरफ से भी ऐसे ही संकेत मिल रहे हैं। RSS की ओर से कहा जा रहा है कि संगठन चीन से यु’द्ध के पक्ष में नहीं है। लेकिन वह कोरोना की वजह से दुनियाभर में उपजी चीन विरोधी भावनाओं के जरिए चीन को अलग-थलग करने का समर्थन करता है।

गौरतलब है कि आरएसएस ने अब तक केंद्र सरकार से अपने मतभेदों का खुलकर इजहार नहीं किया है। पहले की तरह अब भी संघ के नेता समझबूझ के साथ ही बयान दे रहे हैं। खासकर आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत और संघ सहसरकार्यवाह भैयाजी जोशी। हाल ही में भागवत ने गलवान घाटी में चीन के जवानों को मा’रने की हरकत का विरोध किया था। वहीं भैयाजी जोशी ने कहा था कि इस संकट के समय में भारत के लोग और सेनाएं मजबूती से सरकार के साथ खड़ी हैं।
आरएसएस के एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने ‘द टेलिग्राफ’ अखबार से कहा कि हमें अपने सैनिकों की शहादत के लिए चीन के साथ यु’द्ध में जाने की जरूरत नहीं है। हमें चीन से सिर्फ सैन्य तौर पर ही नहीं, बल्कि कई अन्य फ्रंट्स पर लड़ने की जरूरत है। आरएसएस पहले से ही मौजूदा और पूर्व सरकारों को कम्युनिस्ट चीन के बारे में सावधान करती रही है। हमने सरकार से ताकतवर नीतियां बनाने के लिए भी कहा है। हालांकि, लद्दाख की घटना के बाद अब सरकार खुद भी समझ गई है कि कम्युनिस्टों का किसी भी सूरत में भरोसा नहीं किया जा सकता।

गौरतलब है कि जहां चीन से तनाव के बीच आरएसएस ने खुले तौर पर सरकार की नीतियों पर सवाल नहीं उठाए हैं, वहीं संगठन से जुड़े स्वदेशी जागरण मंच ने चीन से व्यापार पर रोक लगाने की मांग उठानी शुरू कर दी है। इसे लेकर मंच के कार्यकर्ता देशभर में प्रदर्शन कर सरकारे के सामने मांगे भी रख रहे हैं।
आरएसएस के मुखपत्र ‘द ऑर्गनाइजर’ के संपादक प्रफुल्ल केतकर का कहना है कि दुनियाभर में कोरोनावायरस महामारी फैलने के बाद कई देशों में चीन विरोधी भावनाएं भड़की हैं। भारत के पास मौका है कि वह इन चीन-विरोधी भावनआओं का फायदा उठाए और चीन को सीमित करने में दुनिया का नेतृत्व करे। उन्होंने कहा कि लद्दाख में जो चीन ने किया, वह गंभीर मुद्दा है, लेकिन घुसपैठ कई बार हो चुकी है। इसलिए चीन से युद्ध से ज्यादा जरूरी उसे दूसरे मोर्चों पर सीमित करना है। केतकर ने साफ किया कि वह यह बात आरएसएस के कार्यकर्ता के तौर पर नहीं बोल रहे हैं।