ट्रेन की इकलौती सवारी अनन्या बोलीं-सेलिब्रिटी नहीं बनना, रेलवे को गलती का अहसास कराया

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PATNA : नई दिल्ली रांची राजधानी एक्सप्रेस से 535 किमी अकेले यात्रा कर चर्चा में आई रांची की बेटी अनन्या ने कहा है कि उसने जो कुछ किया, वह रेलवे को उसकी गलती का अहसास कराने के लिए किया। आंदोलन के जरिये सेलिब्रिटी बनने का उसे कोई शौक नहीं। अनन्या से बातचीत करने के लिए शुक्रवार को तमाम पत्रकारों ने संपर्क किया। अनन्या ने साफ कहा कि मेरे व्यक्तित्व पर फोकस करने की बजाए सबको रेलवे की व्यवस्था पर फोकस करना चाहिए। उन्होंने अलग-अलग मीडिया हाउस की ओर से साक्षात्कार देने की अपील को नकार दिया। कहा कि उन्हें जो कुछ कहना था, यात्रा खत्म होने के बाद कह दिया था। अनन्या ने कहा कि कुछ लोग यह कह कर रहे हैं कि उन्होंने अपने इस कदम से रेलवे का नुकसान कराया है। हकीकत में ऐसा नहीं है। ट्रेन को हर हाल में रांची रेलवे स्टेशन आना ही था। उन्होंने ट्रेन का किराया दिया था। लिहाजा, ट्रेन से ही अपनी यात्रा पूरी की। कहा कि यात्रियों से किराया लेने वाली ट्रेन पैसेंजर को कहीं भी उतार कर नहीं चल सकती।

ट्रेन में अकेले यात्रा के दौरान सुरक्षा को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा कि उन्हें किसी तरह का कोई डर नहीं लगा। यात्रा के दौरान आरपीएफ के जवान सुरक्षा के लिए मौजूद रहे। ट्रेन के विलंब होने के कारण रेलवे से किराया वापस मांगने के बारे में अनन्या ने कहा कि वह इस बारे में विधि के अनुसार राय लेकर अगला कदम उठाएंगी। बीएचयू से लॉ की पढ़ाई करने वाली अनन्या गुरुवार को राजधानी एक्सप्रेस से अकेले यात्रा कर चर्चा में आ गईं। दरअसल, टाना भगतों के आंदोलन के कारण राजधानी एक्सप्रेस को डालटनगंज में ही सात घंटे रोकना पड़ा। ट्रेन में सवार 930 यात्रियों में 929 को जिला प्रशासन ने बसों के जरिए गंतव्य तक पहुंचाया। लेकिन अनन्या इस बात पर कायम रहीं कि वह राजधानी एक्सप्रेस से ही यात्रा पूरी करेंगी। इसके बाद ट्रेन को गया-गोमो के परिवर्तित मार्ग से रांची लाया गया। 535 किलोमीटर की यात्रा में अनन्या अकेली पैसेंजर के रूप में मौजूद रहीं।

उधर, अनन्या की ओर से उठाए गए इस कदम पर पिता मुकेश प्रसाद चौधरी ने कहा कि एक नागरिक के तौर पर सबको अपने कर्तव्य व अधिकार का ज्ञान होना चाहिए। रेलवे से टिकट खरीद कर यात्रा करने का अधिकार सबको है। बेटी ने अधिकार प्राप्त किया है। रेलवे के एक बड़े अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर शुक्रवार को बताया कि रेलवे की नियमावली ऐसी कोई बाध्यता नहीं है कि आपात स्थिति में यात्री को उसी ट्रेन से गंतव्य तक पहुंचाया जाए। राजधानी एक्सप्रेस को रांची लाए जाने का मामला परिस्थिति जन्य फैसला है। टाना भगतों के आंदोलन के कारण राजधानी एक्सप्रेस के डालटनगंज में रोके जाने के बाद रांची निवासी अनन्या ने अपने ट्वीटर हैंडल से ट्वीट कर मदद मांगी थी। अनन्या ने अपनी व्यथा सुनाते हुए एक वीडियो भी पोस्ट किया था। अनन्या ने अपनी यात्रा से जुड़ी जानकारी रेलवे मंत्रालय, डीआरएम, रेल मंत्री पीयूष गोयल तथा पीएमओ को ट्वीट किया था। इसके अलावा अपने वीडियो में बताया था कि ट्रेन के बाकी यात्री चले गए हैं। वह आरपीएफ के एक पुरुष सुरक्षा गार्ड के साथ यात्रा कर रही है। अनन्या ने कहा कि उसे कहीं से कोई मदद नहीं मिली।

ट्रेन एक मुसाफिर को लेकर नहीं चल सकती। टोरी में आंदोलन के चलते जब राजधानी एक्सप्रेस को डालटनगंज में रोका गया तो उस सारे मुसाफिर बस से जाने को तैयार हो गए थे। रांची की रहने वाली अनन्या ने बस से जाने के लिए मना कर दिया उसने रेलवे पर भरोसा जताया। उसने कहा कि वह बस से जाएगी तो उसे कोरोना हो सकता है। इसीलिए उसने ट्रेन से ही जाने को प्राथमिकता दी और यह उसका हक भी था उसके पास दीनदयाल उपाध्याय रेलवे स्टेशन से रांची तक का राजधानी का टिकट था राजधानी को सफाई और अन्य काम के लिए रांची आना ही था। इसीलिए रेलवे ने उसकी बात मानी और उसे राजधानी एक्सप्रेस से ही रांची लाया गया।’ -एस घोष, मुख्य जनसंपर्क अधिकारी, साउथ ईस्टर्न रेलवे।

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