नेहरू- पटेल की निन्दा करने पर भाजपा से निकाल दिए गए थे जसवंत सिंह, जिन्ना की तारीफें भी पड़ी थी भारी

पूर्व केन्द्रीय मंत्री जसवंत सिंह का लंबी बीमारी के बाद रविवार (27 सितंबर) को निधन हो गया। वह 82 वर्ष के थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि उन्होंने निष्ठापूर्वक भारत की सेवा की और उन्हें राजनीति तथा समाज से संबंधित मामलों में उनके अद्वितीय दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा।

जसवंत सिंह की छवि उदार नेता के तौर पर प्रख्यात थी। उनकी उदारावीद सोच का एक उदाहरण यह है कि एक बार पार्टी लाइन के अलग कथन के लिए उन्हें पार्टी से बाहर का रास्ता दिखाया गया था। सिंह ने साल 2009 में अपनी किताब ‘जिन्ना- इंडिया, पार्टीशन, इंडिपेंडेंस’ में नेहरू और पटेल की निंदा की थी और मोहम्मद जिन्ना के लिए तारीफ के बोल बोले थे।

अपने किताब में उन्होंने लिखा था कि बंटवारे के लिए सिर्फ जिन्ना ही नहीं जवाहर लाल नेहरू और वल्लभ भाई पटेल भी जिम्मेदार थे। उन्होंने अपनी किताब में कहा था कि जिन्ना को गलत समझा गया।

उनके इस विचार को लेकर पार्टी की नाराजगी इतनी बढ़ी कि उन्हें भारतीय जनता पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया गया। यही नहीं पार्टी की चिंतन बैठक में शामिल होने शिमला पहुंचे जसवंत सिंह को बैठक में भी शामिल नहीं किया गया था।

बता दें कि सिंह पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी के करीबी माने जाते थे। पूर्व सैन्य अधिकारी सिंह अगस्त 2014 में अपने घर में गिरने के बाद से बीमार थे। उन्हें सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इसके बाद से उन्हें कई बार अस्पताल में भर्ती कराया गया। इस साल जून में उन्हें दोबारा अस्पताल में भर्ती कराया गया था।

प्रधानमंत्री ने अपने शोक संदेश में कहा, “जसवंत जी को राजनीति तथा समाज से संबंधित मामलों में उनके अद्वितीय दृष्टिकोण के लिए याद किया जाएगा। उन्होंने भाजपा को मजबूती देने में भी योगदान दिया। मैं उनके साथ हुए संवाद को याद कर रहा हूं। मेरी ओर से उनके परिवार और समर्थकों के प्रति संवेदनाएं। ओम शांति।” रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी जसवंत सिंह के निधन पर शोक व्यक्त किया है। राजनाथ ने कहा कि जसवंत सिंह ने निष्ठापूर्वक भारत की सेवा की।

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