पितृपक्ष ‘लॉक’, गया बॉर्डर सील, श्रद्धालुओं को रोकने को मजिस्ट्रेट तैनात, सरकारी आदेश जारी

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PATNA : पितृपक्ष मेले तक गया की अंतरजिला एवं अंतरराज्यीय सीमा के मुख्य मार्ग के बॉर्डर सील रहेंगे। मेला अवधि तक गया में तीर्थयात्रियों की इंट्री नहीं होगी। इन जगहों पर सीलिंग प्वाइंट निर्धारित कर दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी व जवानों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी, ताकि जिले में पितृपक्ष में आने वाले तीर्थयात्रियों को प्रवेश से रोका जा सके, साथ ही सरकार द्वारा दिए गए निर्देश का अनुपालन हो सके। यह आदेश बिहार सरकार के विशेष सचिव राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग बिहार, पटना द्वारा जारी किया गया है। विशेष सचिव ने गया डीएम व एसएसपी को भी पत्राचार कर आदेश का पालन सुनिश्चित कराने को कहा है। आदेश का पालन नहीं करने वाले तीर्थयात्रियों को द एपिडेमिक डीजिज एक्ट 1857 एवं एनडीएमए 2005 के तहत कार्रवाई के संदर्भ में भी अवगत कराया जाएगा। सभी एसडीओ, एसडीपीओ, पुलिस उपाधीक्षक अपने-अपने क्षेत्रों में इसे लागू करेंगे तथा अपने-अपने क्षेत्रों में सुरक्षा एवं विधि-व्यवस्था के संपूर्ण प्रभार में रहेंगे।

मोक्षभूमि गया…। पितरों का महापर्व पितृपक्ष मेला 2020 ‘लॉक’ है। न पंडाल हैं न पिंडदानी। विश्व प्रसिद्ध विष्णुपद मंदिर का कपाट भी बंद है। मेला क्षेत्र सुना पड़ा है। प्रमुख पिंडवेदियां विष्णुपद, देवघाट व फल्गु की रौनक गायब है। त्रिपाक्षिक श्राद्ध करने वाले पिंडदानी भाद्रपद चतुर्दशी से पुनपुना श्राद्ध कर गयाधाम में प्रवेश करते थे। पूर्णिमा तिथि को फल्गु में पांव पूजन कर गया श्राद्ध के कर्मकांड को शुरू करते थे, पर इस बार कोविड-19 की वजह से मेला स्थगित कर दिया गया है। गया श्राद्ध में पुनपुना श्राद्ध का विशेष महत्व है। आचार्य नवीन चंद्र मिश्र वैदिक ने बताया कि पुनपुना श्राद्ध मार्ग का श्राद्ध है। गयाधाम में प्रवेश से पूर्व तीन स्थानों पर पुनपुना श्राद्ध का विधान है। पटना से आने वाले तीर्थयात्री पुनपुन में, अरवल की तरफ से आने वाले किंजर और बनारस की तरफ से आने वाले अनुग्रह नारायण रोड में पुनपुना श्राद्ध करके ही आगे बढ़ते है। तीनों स्थानों पर पुनपुन नदी है। उन्होंने बताया कि कोलकाता की तरफ आने वाले मार्ग में पुनपुन नदी नहीं पड़ती है। उनके लिए गया में गोदावरी तीर्थ है। गोदावरी तीर्थ का महत्व भी पुनपुना तीर्थ के समान है।

गया में पितृपक्ष मेला का उद्घाटन सीएम से लेकर डिप्टी सीएम तक कर चुके है। मेला शुरू होने से पूर्व भव्य तरीके से उद्घाटन समारोह आयोजित किया जाता था। गया के विकास के लिए योजनाएं तैयार होती थी, साथ ही देश के प्रसिद्ध प्रवचनकर्ता का मोक्षभूमि पर आगमन होता था। जिला प्रशासन द्वारा एक से बढ़कर एक सांस्कृतिक कार्यक्रमों की प्रस्तुति होती थी। हर इलाका जगमग रोशनी में तब्दील रहता था। पर इस बार सब सुना है। पूर्णिमा तिथि यानि दो सितंबर…। पितृपक्ष में इस तिथि का काफी महत्व है। तीर्थयात्री मोक्षदायिनी फल्गु तट पर अपने पुरोहितों का पांव पूजन कर गयाश्राद्ध का कर्मकांड शुरू करते थे। हजारों की भीड़ फल्गु तट पर होती थी। पितृ देवो भव: के मंत्र चारों तरफ गूंजते थे। प्रशासनिक अधिकारियों का हर समय इन इलाकों में सुविधाओं को लेकर दौरा होता था। पुरोहितों के पांव पूजन के बाद विष्णुपद मंदिर के गर्भगृह में जाने के लिए लंबी कतारें लगती थी।

वैशाली जिले के सलेमपुर गांव के रहने वाले दो भाईयों ने मंगलवार को देवघाट पर अपने पिता का श्राद्ध किया। दोनों पिंडदानी अपने निजी वाहन से बहन-बहनोई के साथ एक दिनी श्राद्ध के लिए गया आए है। पिंडदानी उमेश शाह व रमेश शाह ने बताया कि उन्हें जानकारी नहीं थी, पर गया आने के दौरान रास्ते में बहुत जगहों पर उन्हें रोका गया था। उन्होंने बताया कि पितृपक्ष में एक खास आस्था जुड़ी हुई है। इस वजह से वे अपने पिता का श्राद्ध के लिए गया आए है। उनके साथ बहन सुनीता देवी व बहनोई भी थे। पिता के श्राद्धकर्म को पूरा करने के बाद पिंड को मोक्षदायिनी फल्गु में विसर्जित किया और विष्णुपद मंदिर के द्वार पर ही मत्था टेंक पितरों के मोक्ष की कामना की। उन्हें यह कर्मकांड रौशन पांडे द्वारा कराया गया। पितृपक्ष मेले तक गया के अंतरजिला एवं अंतरराज्यीय सीमा के मुख्य मार्ग के बॉर्डर सील रहेंगे। इन जगहों पर सीलिंग प्वाइंट निर्धारित कर दंडाधिकारी, पुलिस पदाधिकारी व जवानों की प्रतिनियुक्ति की जाएगी।

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