बुजदिल हैं बिहार के लोग, जानिए यहां की जनता कृषि बिल के विरोध में आंदोलन क्यों नहीं कर रहा

यह प्रश्न अक्सर पूछा जा रहा है कि कृषि क़ानूनों को लेकर बिहार के किसान आंदोलनरत क्यों नहीं है. इस प्रश्न का उत्तर निम्न सूचनाओं से पाया जा सकता है.

1- वर्ष 2011 की समाजार्थिक जाति जनगणना के आँकड़ों के अनुसार, बिहार के ग्रामीण बिहार में 65.58% परिवारों के पास भूमि नहीं है. बिहार की 38% भूमि असिंचित है. तिपहिया-चौपहिया कृषि वाहन केवल 2.49% परिवारों के पास हैं. सिंचाई की मशीनें केवल 5.15 परिवारों के पास हैं. बिहार के 70.88% ग्रामीण परिवारों की आमदनी का मुख्य स्रोत अनियमित मज़दूरी है.

2- विधानसभा चुनाव 2020 से पहले CSDS-लोकनीति ने सर्वे किया था. हालांकि सर्वे 37 विधानसभाओं में 37 सौ लोगों के बीच कराया गया था, लेकिन इससे एक अच्छा अनुमान लगता है. हालिया पारित कृषि क़ानूनों के बारे में पूछे जाने पर 69% लोगों ने कहा था कि उन्होंने इन क़ानूनों के बारे में नहीं सुना है, जबकि 31% ने सुना हुआ था. इनमें अगर किसानों की बात करें, तो 64% किसानों ने इन क़ानूनों के बारे में नहीं सुना था.

3- यह पूछे जाने पर कि क्या इन नये कानूनों की वजह से किसानों को ऊपज का अधिक दाम मिलेगा या कम दाम मिलेगा, तो 29% लोगों ने कहा कि किसानों को अधिक दाम मिलेगा, 26% ने कहा कि कम दाम मिलेगा, 18% ने कहा कि पहले जैसा रहेगा और 17% ने कोई उत्तर नहीं दिया. 39% किसानों ने कहा कि अधिक मिलेगा, 19% ने कहा कि कम मिलेगा, 20% ने कहा कि पहले जैसा मिलेगा, 22% ने कोई उत्तर नहीं दिया.

4- किसानों से पूछा गया कि आप अपनी ऊपज कहाँ बेचते हैं, तो जवाब इस तरह रहा- गांव/शहर में सेठ/साहूकार को 39%, खुले बाजार में खुद ले जाकर 18%, सरकारी मंडी में 06%, अन्यत्र 5%, नहीं बेचते 29% और 03% ने कोई उत्तर नहीं दिया.

5- और कहीं भले कोरोना वायरस के वैक्सीन की खोज हो रही हो, भोजपुरी के कलाकार लहंगा और चोली में कोरोना वायरस खोजते हुए गीत बना रहे हैं, जिन्हें ख़ूब सुना और देखा जा रहा है. ऐसे गीतों के कुछ उदाहरण- लहंगा में भायरस कोरोना घुसल बा, तोरा लहंगा में कोरोना भायरस कोरोना घुस जाई, लहंगा में कोरोना भाइरस, कोरोना भायरस बा चोली में, हमरा लहंगा में कोरोना भायरस, हमरा लहंगा में कोरोना वायरस घुस गईल बा…

Prakash k ray

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