मतदान मौलिक अधिकार नहीं, EVM की जगह बैलेट पेपर से मतदान की मांग पर सुनवाई से SC का इंकार

सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को उस याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया, जिसमें ईवीएम का उपयोग बंद करने और भविष्य में सभी चुनाव मत पत्र के ज़रिए करवाने की मांग की गई थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम पहले भी ऐसी मांग को सुन चुके हैं. दोबारा सुनवाई की ज़रूरत नहीं है. इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन यानी EVM का इस्तेमाल बंद करने पर सुनवाई से सुप्रीम कोर्ट ने मना कर दिया है. याचिकाकर्ता ने भविष्य में सभी चुनाव मत पत्र के ज़रिए करवाने की मांग की थी. लेकिन कोर्ट ने कहा कि मसले को पहले भी सुन कर फैसला दिया जा चुका है.

वकील सी आर जयासुकिन ने अपनी याचिका की खुद पैरवी की. उन्होंने कहा कि EVM में गड़बड़ी की शिकायत सामने आती रहती है. कोर्ट को इसे हटाने का आदेश देना चाहिए. बैलेट पेपर के ज़रिए ही चुनाव होने चाहिए. जस्टिस ए एस बोपन्ना और वी रामसुब्रमण्यम के साथ 3 जजों की बेंच में बैठे चीफ जस्टिस एस ए बोबड़े ने कहा, “हम पहले भी ऐसी मांग को सुन चुके हैं. दोबारा सुनवाई की ज़रूरत नहीं है.”

जयासुकिन ने जब फिर से अपनी मांग पर ज़ोर दिया तो चीफ जस्टिस ने पूछा, “आप ने अनुच्छेद 32 के तहत सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. इसका इस्तेमाल मौलिक अधिकारों के हनन पर होता है. इस मामले में किसके मौलिक अधिकार का हनन हो रहा है?”

वकील ने मतदान को मौलिक अधिकार बताया. इस पर चौंकते हुए चीफ जस्टिस ने कहा, “आपके पास संविधान होगा. उसका पार्ट 3 खोलिए. ज़रा दिखाइए कि मतदान को कहां मौलिक अधिकार लिखा गया है? हम लोग भी शिक्षित होना चाहते हैं.” वकील के पास इस बात का कोई जवाब नहीं था क्योंकि संविधान में वयस्क मताधिकार की बात तो कही है, लेकिन यह मौलिक अधिकारों की श्रेणी में नहीं आता.

याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट का इशारा समझते हुए याचिका वापस लेने की बात कही. जजों ने इसकी अनुमति दे दी.

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