SAHARSA (Mithila) : गरीब जन्म लेना कोई पाप नहीं है लेकिन गरीब बने रहना दुनिया का सबसे बड़ा पाप है. यह कहना है बिहार की बेटी और मिथिला के सहरसा की लाडली जया कुमारी का. जया कुमारी विगत कुछ सालों से आचार का बिजनेस करती है और वर्तमान समय में दो से तीन लाख रुपए हर महीने कमा लेती हैं. लेकिन एक समय था जब जया को एक—एक रुपए के लिए कठिन परिश्रम करना पड़ता था. आसान भाषा में कहा जाए तो जया कुमारी दस से बीस रुपए के लिए दूसरों के आगे हाथ फैलाया करती, घर चलाने के लिए विवश होकर उसे मदद मांगना पड़ता था। एक तरह से कहा जाए तो वह हाथ फैलाकर मदद मांगने के लिए विवश थी, वह दूसरों के रहमों करम के लिए मोहताज थी.
जया कुमारी कहती है कि मैं आज जो भी हूं उसमें जीविका का महत्वपूर्ण योगदान है. मैंने अपना कारोबार करने का सोचा और इसके लिए मैंने जीविका से संपर्क किया. लोन के रूप में मुझे जीविका द्वारा ₹50000 दिए गए जिसकी मदद से मैंने आचार का बिजनेस आरंभ किया. क्योंकि मैं दिन रात एक कर मेहनत करती रही इसलिए आचार का कारोबार चल पड़ा. लोगों को मेरे द्वारा बनाया गया आचार अच्छा लगने लगा. स्वाद भाने लगा और दिन प्रतिदिन आचार कि बिक्री में बढ़ोतरी होने लगी.
जया कुमारी कहती है कि वह विशेषत: आम और कटहल का अचार बनाती है लेकिन इसके साथ-साथ उनके स्टाल पर हर तरह का अचार उपलब्ध है. उदाहरण के लिए मिर्च का अचार, नींबू का अचार. वह बताती है कि पहले उनके आचार की बिक्री सिर्फ और सिर्फ सहरसा में हुआ करता था लेकिन अब बिहार सहित कई राज्यों में इसकी बिक्री होने से आमदनी बढ़ने लगी है. हम लोग बिहार सहित देशभर में जहां-जहां सरस मेला का आयोजन होता है वहां-वहां जाकर अपनी आचार का प्रचार करते हैं.
जया की सफलता की कहानी सुनकर आपको लग रहा होगा की जय के लिए सब कुछ आसान था तो ऐसा नहीं है जय का पारिवारिक बैकग्राउंड बहुत ज्यादा अच्छा नहीं है. उसके पति परिवार चलाने के लिए मजदूरी का काम करते थे. घर में जितनी पैसे की जरूरत होती थी वह उतना भी नहीं कमा पाती थी लेकिन जया कुमारी ने हिम्मत हारने के बदले संघर्ष का रास्ता इख्तियार किया.
जया कहती है कि वह अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए स्कूल भेज रही है वह चाहती है कि उनके बच्चे पढ लिखकर उनका नाम रोशन करें. अब घर में किसी तरह की कोई परेशानी नहीं है.