टीवी की मशहूर अभिनेत्री श्वेता तिवारी ने हाल ही में अपनी जबरदस्त फिटनेस से सबका ध्यान खींचा है। खास बात ये है कि उन्होंने ये कमाल 40 की उम्र में किया है, जब अक्सर महिलाओं को लगता है कि अब वजन कम कर पाना बहुत मुश्किल है। लेकिन श्वेता ने साबित कर दिया कि अगर इरादा पक्का हो और तरीका सही हो, तो कोई भी मुमकिन है।
आइए, बहुत ही आसान भाषा में समझते हैं कि उन्होंने कैसे अपने रोज़ के छोटे-छोटे बदलावों से 10 किलो वजन घटाया, और वो भी बिना किसी महंगे जिम या डाइट प्लान के।
मां होने की जिम्मेदारियों के बीच खुद को संभालना आसान नहीं था
श्वेता दूसरी बार मां बनने के बाद करीब 73 किलो तक पहुंच गई थीं। घर, बच्चे और काम – इन सब जिम्मेदारियों के बीच खुद पर ध्यान देना उनके लिए आसान नहीं था।
लेकिन उन्होंने ठान लिया कि अब खुद को दोबारा फिट और खुश महसूस करना है। ये सफर सिर्फ दिखावे का नहीं था, बल्कि सेहत और आत्मविश्वास दोबारा पाने का था।
खाना बिल्कुल घर जैसा – न कोई डाइटिंग, न भूखा रहना
श्वेता ने ना तो कोई जूस डाइट अपनाई, ना ही खाना छोड़ा। उन्होंने जो खाया, वो हर किसी के घर में मिलता है – दाल, ब्राउन चावल, मौसमी फल, सूखे मेवे, ओट्स, और हल्का मांसाहारी भोजन।
- शक्कर से दूरी बनाई
- बाहर के पैकेट वाले स्नैक्स बंद किए
- देर रात खाने की आदत छोड़ी
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उनकी न्यूट्रिशनिस्ट ने उनका खाना उनके रूटीन के हिसाब से सेट किया, ताकि वो लंबे समय तक टिक सके।
वर्कआउट में ना भागदौड़, ना थकावट – बस थोड़ी समझदारी
श्वेता ने कोई भारी भरकम एक्सरसाइज नहीं की। उन्होंने किया:
- स्ट्रेंथ ट्रेनिंग – जिससे शरीर टोन हो और फैट बर्न हो
- कार्डियो – जैसे दौड़ना, तेज चलना
- योगा – ताकि मन शांत रहे और शरीर लचीला बने
हर एक्सरसाइज उनके शरीर और दिनचर्या के हिसाब से तैयार की गई थी। यही वजह रही कि वो धीरे-धीरे और सुरक्षित तरीके से फिट हुईं।
मानसिक शांति – वजन घटाने की सबसे जरूरी चीज
बहुत लोग वजन घटाने के बारे में सिर्फ खाने-पीने और एक्सरसाइज की बात करते हैं। लेकिन श्वेता के लिए मानसिक ताकत सबसे जरूरी रही।
- उन्होंने मेडिटेशन और माइंडफुलनेस शुरू किया
- हर दिन जोश से नहीं, लेकिन छोटे-छोटे कदमों से आगे बढ़ीं
- जब भी थकावट या मन उदास होता, वो खुद को फिर से तैयार करतीं
उनका ये नजरिया दिखाता है कि वजन घटाना सिर्फ शरीर का नहीं, मन का भी खेल है।
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बच्चों और परिवार से मिला साथ – बनी प्रेरणा
उनकी बेटी पलक तिवारी और छोटे बेटे रेयांश ने हर दिन उन्हें मोटिवेट किया। श्वेता ने कई बार बताया कि उनके बच्चे ही उनकी सबसे बड़ी ताकत बने।
उनकी ये पूरी यात्रा एक सिंगल मां के हौसले की कहानी बन गई – जो बताती है कि चाहे हालात जैसे भी हों, अगर इरादा हो तो कुछ भी मुमकिन है।
असली सीख – वजन घटाने के लिए सिर्फ जज्बा नहीं, तरीका चाहिए
श्वेता तिवारी की कहानी हर उस महिला के लिए एक उम्मीद की किरण है, जो सोचती है कि अब देर हो गई है। उन्होंने दिखा दिया कि:
- वजन घटाना कोई झटपट जादू नहीं है
- ये एक धीमी लेकिन मजबूत प्रक्रिया है
- बस जरूरी है सही खाना, हल्की एक्सरसाइज, और थोड़ा सा धैर्य
निष्कर्ष :
श्वेता तिवारी की ये यात्रा हमें बताती है कि वजन घटाना सिर्फ फिट दिखने का नहीं, खुद को फिर से महसूस करने का सफर है। गांव हो या शहर, मां हो या कामकाजी महिला – अगर आप थोड़ा-थोड़ा करके रोज मेहनत करें, तो आप भी ये बदलाव ला सकती हैं।