स्वाभिमानी बिटिया- मां-पिता से कहा जब तक IAS न बनूं शादी नहीं करूंगी, 18वीं रैंक ला तोड़े रिकार्ड

स्वाभिमानी बिटिया- मां-पिता से कहा जब तक IAS न बनूं शादी नहीं करूंगी, 18वीं रैंक ला तोड़े रिकार्ड

New Delhi : बिहार की बेटी अभिलाषा ने जब यूपीएससी परीक्षा में 18वीं रैंक पाई तो उनके घर बधाई का ताता लग गया। लेकिन अभिलाषा ने अपनी इस सफलता के लिए पढ़ाई करने में तो कड़ी मेहनत की ही है साथ ही समाज के ताने भी सुने। अभिलाषा ऐसे क्षेत्र से हैं जहां लड़कियों की एक समय सीमा में शादी कर दी जाती है। इसका असर अभिलाषा के परिवार पर भी पड़ा और उनसे भी शादी कर लेने को कहा। लेकिन अभिलाषा ने अपने माता-पिता को विश्वास दिलाया कि वो जल्द ही अपना सपना पूरा करेंगी जिसके बाद ही शादी करेंगी। अभिलाषा की ये अभिलाषा अखिरकार इस बार पूरी हो गई।

अभिलाषा का सपना था कि वो एक अच्छे सरकारी पद पर काम करें इसके लिए उन्होंने यूपीएससी की परीक्षा देकर आईएएस ऑफिसर बनने की ठानी। 2014 में जब अभिलाषा ने पहली बार यूपीएससी की परीक्षा दी तो वो प्री तक क्लियर नहीं कर पाईं थी।

लेकिन परिवार और समाज को जवाब देने के लिये उन्हें जल्द से जल्द अच्छा परिणाम देना था। पहले प्रयास में असफल होने के बाद इससे सीखते हुए उन्होंने दो साल तक प्रयास नहीं किया और सिर्फ तैयारी की। इसके बाद 2016 में उन्होंने तैयारी के साथ किस्मत आजमाई जिसमें उनको 308वीं रैंक मिली। इससे उनका सेलेक्शन आईआरएस सेवा के लिये हुआ लेकिन अभिलाषा इतने से संतुष्ट नहीं थी। उनका सपना ऊंची पोस्ट पाने का था। उन्होंने फिर कोशिश की और 2017 के अपने तीसरे अटेम्पट में 18वीं रैंक पाकर अपने बचपन के सपने को साकार कर दिखाया।

अभिलाषा बचपन से ही पढ़ने में होशियार रही हैं इसे लेकर परिवार वालों ने भी उन्हें सपोर्ट किया लेकिन एक समय में जब अभिलाषा को कामयाबी हासिल कने में देर लगी तो परिवार वाले शादी के लिये कहने लगे। अभिलाषा ने परिवार वालों को कुछ साल और शादी को टालने के लिये मनाया और मेहनत करती रहीं। अभिलाषा ने दसवीं और बारहवीं में टॉप किया था।

इसके बाद अभिलाषा ने इंजीनियरिंग एग्जाम्स की तैयारी की और परीक्षा पास करके ए. एस पाटिल कॉलेज महाराष्ट्र से बीटेक कर लिया। बीटेक के बाद अभिलाषा ने नौकरी की। अभिलाषा के संघर्ष का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने हमेशा परीक्षा की तैयारी करते हुये जॉब की। इसके साथ ही उन्होंने जब तब समाज के उलाहने भी सहे।

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