अभी-अभी : महराष्ट्र में फडणवीस सरकार को राहत, SC में कल सुबह होगी सुनवाई

SC में महाराष्ट्र का महासंग्राम LIVE: कोर्ट को सौंपा गया पत्र, सॉलिसिटर जनरल ने कहा- फडणवीस के साथ 170 विधायकजानिए हर अपडेट

नयी दिल्लीः एनसीपी नेता अजित पवार के भाजपा के साथ हाथ मिलाने और उप मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद महाराष्ट्र में सियासी तूफान आया हुआ है. महाराष्ट्र की राजनीति में पिछले तीन दिनों में कई हैरान कर देने वाले जोड़-तोड़ और ट्विस्ट हुए हैं. भाजपा जहां सरकार बनाने के बाद उसे बनाए रखने की जद्दोजहद में जुटी हुई है तो विपक्षी खेमा अपने विधायकों को टूटने से बचाने की जीतोड़ कोशिश में लगा हुआ है. इधर, भाजपा द्वारा सरकार गठन के बाद ये मामले सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है. आज मामले में फिर सुनवाई होनी है. माना जा रहा है कि राज्य के सियासी संकट पर आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ सकता है.जानिए महाराष्ट्र की सियासी हलचल का हर अपडेट..

  • सॉलिसिटर जनरल ने बताया कि बीजेपी के पास 105 अपने, एनसीपी 54 और 11 निर्दलीयों का समर्थन है. राज्यपाल के पास सभी विधायकों का समर्थन पत्र पहुंचा था. इस पर सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि वो चिट्ठी कहां है जिसमें राज्यपाल ने फडणवीस को सरकार बनाने का न्योता दिया था. मुकुल रोहतगी ने कहा कि पवार परिवार में क्या हो रहा है, इससे उन्हें मतलब नहीं है. एक पवार मेरे साथ है और एक कोर्ट में, वह हस्ताक्षर गलत नहीं बता रहे हैं, बल्कि होर्स ट्रेडिंग का आरोप लगा रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यहां पर राज्यपाल के बारे में कुछ नहीं कह रहे हैं, यहां मामला अलग है. जस्टिस खन्ना ने इस दौरान कहा कि आप बीते कल की बात कर रहे हैं, यहां अजित पवार की तरफ से कोई है?
  • बीजेपी की तरफ से मुकुल रोहतगी ने कोर्ट में कहा है कि मैं बीजेपी के लिए पेश हो रहा हूं. कुछ निर्दलीय विधायकों का भी वकील हूं. हमारे चुनाव पूर्व साथी ने साथ छोड़ दिया. फिर एनसीपी आई. हमारे समर्थक 170 हो गए. राज्यपाल ने हमें आमंत्रण दिया. अब एक पवार हमारे साथ हैं. एक पवार दूसरी तरफ बैठे हैं, जिनके पारिवारिक झगड़े से हमें क्या लेना देना? यह लोग नहीं कह रहे कि विधायकों के दस्तखत नकली हैं. कहानी बना रहे हैं कि धोखे से विधायकों के हस्ताक्षर लिए गए हैं. यह केस कर्नाटक में बीएस येदियुरप्पा मामले से अलग है.
  • सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस की चिट्ठी का भी अनुवाद मांगा. मेहता ने उसे पढ़ा. चिट्ठी में लिखा है, मैं फडणवीस विधायक दल का नेता चुना गया हूं. एनसीपी ने समर्थन दिया है. 11 दूसरे विधायकों का समर्थन है. कुल 170 का समर्थन मुझे हासिल है.तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि तब राज्यपाल ने न्योता दिया. क्या इसे उस तरह से कोर्ट में चुनौती दी जा सकती है?तुषार मेहता ने कहा है कि मामले पर विस्तृत सुनवाई की ज़रूरत है. ये मामला हड़बड़ी में नहीं निपटाया जा सकता.

तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि क्या राज्यपाल को इस मसले पर कोई जांच बैठानी चाहिए थी. उन्होंने उपलब्ध सामग्री के हिसाब से फैसला लिया.

  • तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में बताया कि राज्यपाल ने अजित पवार की चिट्ठी पर फडणवीस को न्योता दिया. राज्यपाल ने लिखा, ‘’आप अपनी पार्टी के विधयक दल के नेता चुने गए हैं. आपने 11 दूसरे विधायकों के समर्थन की भी चिट्ठी दी है. अजित पवार ने भी आपके पक्ष में चिट्ठी दी है. मैं आपको सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करता हूं.
  • तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट में अजित पवार की चिट्ठी दी है. अजित पवार की तरफ से राज्यपाल को दी गई चिट्ठी में लिखा है, मैं अजीत पवार विधायक दल का नेता हूं. मुझे सब विधायकों का समर्थन है. राष्ट्रपति शासन ज़्यादा नहीं चलना चाहिए. हमने तय किया है कि फडणवीस को समर्थन दें. इस चिट्ठी में 54 विधायकों के दस्तखत हैं.
  • सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि राज्यपाल को अजित पवार ने चिट्ठी दी. इसकी तारीख 22 नवंबर है. इस पर लिखा गया कि वह एनसीपी विधायक दल के नेता हैं. मेहता ने कहा कि मैं राज्यपाल के सचिवालय की नुमाइंदगी कर रहा हूं. याचिकाकर्ता 12 नवंबर के बाद से राज्यपाल के पास नहीं गएसॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा है कि उन्होंने 9 नवंबर तक इंतजार किया. सबसे बड़ी पार्टी को न्योता दिया. BJP ने मना कर दिया. 10 तारीख को शिवसेना से पूछा. उसने भी मना कर दिया. 11 को एनसीपी ने भी मना किया. फिर राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया. राज्यपाल को पता था कि एक चुनाव पूर्व गठबंधन जीत गया है.

सुप्रीम कोर्ट में पहुंचे बीजेपी के वकील मुकुल रोहतगी का कहना है कि मैंने देवेंद्र फडणवीस के साथ अजित पवार की भी एनसीपी विधायकों के हस्ताक्षर वाली चिट्ठी देखी है. राज्यपाल का सरकार बनाने का न्योता देने का फैसला सही था.

सुप्रीम कोर्ट का फैसला ही तय करेगा कि महाराष्ट्र की नई भाजपा सरकार का भविष्य क्या होने वाला है. महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने सोचा नहीं होगा कि ताजपोशी के 24 घंटे के भीतर सुप्रीम कोर्ट तक बात पहुंच जाएगी और उन्हें सुप्रीम कोर्ट से नोटिस मिल जाएगा.

एनसीपी-शिवसेना और कांग्रेस ने एक साथ जोर लगाया तो रविवार को भी सुप्रीम कोर्ट में महाराष्ट्र में सरकार गठन पर उठ रहे सवालों पर सुनवाई हुई. इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में फिर सुबह 10 बजकर 30 मिनट से सुनवाई शुरू होगी. कोर्ट ने रविवार को हुई सुनवाई के दौरान सॉलिसिटर जनरल को निर्देश दिया कि राज्य में सरकार बनाने का दावा पेश करने के लिए मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा इस्तेमाल किए गए समर्थन पत्रों को अदालत में पेश किया जाए.

कोर्ट ने आदेश पारित करते हुए सरकार को आज सुबह समर्थन पत्र कोर्ट में प्रस्तुत करने को कहा है.शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी की याचिका पर जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस संजीव खन्ना की अध्यक्षता वाली पीठ कर रही है.

महा विकास अघाड़ी (शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस) की ओर से कहा गया कि फडणवीस के पास पर्याप्त संख्या नहीं है. इनकी ओर से पेश कपिल सिब्बल और अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि अगर बीजेपी के पास बहुमत है तो वह 24 घंटे में साबित करें.

केंद्र के निर्देश पर काम कर रहे राज्यपाल

सुनवाई के दौरान कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि राज्यपाल केंद्र के सीधे निर्देश पर काम कर रहे हैं. राष्ट्रपति शासन खत्म करने की सिफारिश, कैबिनेट मीटिंग और राष्ट्रपति के दस्तखत कब हुए इसकी टाइम लाइन तलब की जाए. कोर्ट ने सरकार गठन से जुड़ी पूरी प्रक्रिया के पेपर को लेकर आने को कहा है.

बीजेपी का दावा सरकार पर ‘संकट’ नहीं
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान कांग्रेस और एनसीपी की तरफ से राज्यपाल के फैसले, राष्ट्रपति शासन हटाए जाने की प्रक्रिया और फ्लोर टेस्ट की तारीख नहीं देने को लेकर भी सवाल उठे. सुनवाई के दौरान कोर्ट में सभी दलों के नेता भी मौजूद थे. कांग्रेस ने बहुमत साबित करने की देरी पर सवाल उठाए तो बीजेपी ने दावा किया कि फडणवीस की सरकार पर कोई संकट नहीं है.

वहीं एनसीपी ने 41 विधायकों के दस्तखत वाली चिट्टी सुप्रीम कोर्ट को सौंप दी. साथ ही ये दावा किया जा रहा है कि सोमवार तक इस सूची मे और भी विधायकों के नाम जुड़ सकते हैं. अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद ही कहा जा सकता है कि महाराष्ट्र में सरकार गठन का क्या भविष्य होने वाला है.

किसको मिली थी कितनी सीट
भाजपा और शिवसेना ने पिछले महीने गठबंधन में विधानसभा चुनाव लड़े और दोनों ने क्रमश: 105 और 56 सीटों पर जीत दर्ज की.बहरहाल, शिवसेना ने मुख्यमंत्री पद के बंटवारे को लेकर भाजपा के साथ अपना तीन दशक पुराना संबंध तोड़ लिया था. कांग्रेस और राकांपा को विधानसभा चुनावों में क्रमश: 44 और 54 सीटें हासिल हुई थीं.

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