अमेरिका ने दक्षिण चीन सागर में तैनात किए युद्धपोत और लड़ाकू विमान

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भारत-प्रशांत क्षेत्र में चीन को युद्ध भड़काने से रोकने के लिए अमेरिका ने अपने जंगी जहाज युद्धपोत और परमाणु बमवर्षक लड़ाकू विमान तैनात किए हैं। अमेरिका द्वारा दक्षिण चीन सागर में युद्धपोत और हिंद महासागर के डिएगो गार्सिया द्वीप में परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम तीन बी-2 स्टील्थ बमवर्षक तैनात किया गया है।

अमेरिका का यह कदम लद्दाख से लेकर ताइवान तक चीन को रोकने के लिए एक स्पष्ट संदेश है। दोनों क्षेत्रों में जारी गतिरोध के बीच तीन रडार-विकसित बमवर्षक, जो दुनिया में सबसे उन्नत के लड़ाकू विमान के रूप में पहचाने जाते हैं, 12 अगस्त को डिएगो गार्सिया में पहुंचे। अमेरिका का यह नौसैनिक अड्डा भारत से महज 3,000 किलोमीटर दूर है। इसी के साथ अमेरिकी विमानवाहक पोत यूएसएस रोनाल्ड रीगन भी 14 अगस्त को दक्षिण चीन सागर की ओर बढ़ गया था।
बी-2 बमवर्षकों की लद्दाख क्षेत्र में भी बड़ी सामरिक प्रासंगिकता है। विशेष रूप से, उनका उपयोग 4,000 किलोमीटर की सीमा वाले डीएफ-26 बैलिस्टिक मिसाइलों को नष्ट करने के लिए किया जा सकता है। चीन शायद भारत, अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया को शामिल करते हुए इंडो-पैसिफिक क्वाड के एयरक्राफ्ट कैरियर सहित जहाजों को निशाना बनाने के अपने इरादे का संकेत दे रहे हैं।

मिसौरी से 29 घंटे की यात्रा करके पहुंचे
अमेरिका के मिसौरी एयरफोर्स बेस से तीन बी-2 स्प्रिट स्टील्थ बमवर्षक विमान करीब 29 घंटे की यात्रा करके डियागो गार्सिया पहुंचे हैं। यूएस एयरफोर्स के कमांडर कर्नल क्रिस्टोफर ने कहा कि हम डियागो गार्सिया जैसी महत्वपूर्ण जगह पर आकर बहुत रोमांचित हैं। कमांडर ने कहा कि यह हमारी नेशनल डिफेंस स्ट्रेटजी का हिस्सा है। हम हिंद महासागर में अपने दोस्तों और सहयोगियों के साथ रिश्तों को मजबूत करने के साथ-साथ अपनी सुरक्षा को और ज्यादा पुख्ता कर रहे हैं।

दुनिया का सबसे घातक परमाणु बमवर्षक है बी-2
बी-2 स्प्रिट स्टील्थ दुनिया का सबसे घातक बमवर्षक है। यह विमान एक साथ 16 बी 61-7 परमाणु बम ले जा सकता है। हाल ही में इसके बेड़े में बेहद घातक और सटीक मार करने वाले बी61-12 परमाणु बम शामिल किए गए हैं। यह दुश्मन के हवाई सुरक्षा तंत्र को चकमा देकर इलाके में घुस जाता है। यह रडार की पकड़ में नहीं आता है और चुपके से हमले को अंजाम देने में सक्षम है।

भारत समेत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए खास
अमेरिका का डियागो गार्सिया नौसैनिक अड्डा भारत समेत पूरे हिंद महासागर क्षेत्र के लिए खास है। इससे भारत के दक्षिणी तट की लंबाई 970 समुद्री मील है। इस द्वीप पर अमेरिका के 1700 सैन्यकर्मी और 1500 नागरिक कॉन्ट्रैक्टर्स है, इसमें 50 ब्रिटिश सैनिक शामिल है। इस द्वीप का उपयोग अमेरिकी नौसेना और वायु सेना दोनों ही संयुक्त रूप से करते हैं।

दक्षिण चीन सागर में चीन ने फिर शुरू किया सैन्य अभ्यास
चीन दक्षिण चीन सागर में सैन्य अभ्यास का एक और दौर आयोजित कर रहा है, क्षेत्र में इस तरह की बढ़ती गतिविधियों के बीच तनाव को उजागर करती है। चीन के समुद्री सुरक्षा प्रशासन ने कहा कि अभ्यास सोमवार से रविवार तक चलेगा। इसने जहाजों को ड्रिल क्षेत्र से पांच नॉटिकल मील यानी 9.26 किलोमीटर दूर जाने की चेतावनी दी, लेकिन अन्यथा क्या किया जाएगा, इसका कोई विवरण नहीं दिया।

चीन ने पिछले महीने देर से घोषणा की कि उसने दक्षिण चीन सागर में लंबी दूरी के बमवर्षक और अन्य विमानों के साथ अभ्यास किया है। चीनी सेनाओं ने अमेरिका और ऑस्ट्रेलियाई नौसेना के जहाजों का भी सामना किया है, जो चीनी द्वीपों के पास नेविगेशन संचालन की स्वतंत्रता का संचालन कर रहे हैं, साथ ही ऑस्ट्रेलिया और देशों के बल जो पूरे रणनीतिक जलमार्ग पर चीन के दावे को चुनौती देते हैं।

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