आज घर-घर पधारेंगे गणपति बप्पा, कृपा पाने के लिए इस विधि से करें गजानन की पूजा

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PATNA : आज गणेश चतुर्थी है. इसी दिन भगवान गणेश जी का जन्म हुआ था. आज देश भर में गणेश चतुर्थी का पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा. शास्त्रों के अनुसार भाद्र मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी आज भगवान गणेश का उत्सव भारत के कई इलाकों में 10 दिनों तक मनाया जाएगा. आज घर-घर गणपति बप्पा पधारेंगे. आज गणेशजी को आरती, कथा, मंत्र, भजन से स्वागत किया जाएगा. भक्त गणपति को घर लाकर विराजमान करने से लेकर उनके विसर्जन को भी धूमधाम से करते हैं. गणेश उत्सव भाद्रपद मास की चतुर्थी से चतुर्दशी तक यानी दस दिनों तक चलता है, इसके बाद चतुर्दशी को इनका विसर्जन किया जाता है. हिंदू धर्म में भगवान गणेश को अत्यंत ही पूजनीय माना जाता है. शास्त्रों के अनुसार, गणेश जी का नाम किसी भी कार्य के लिए पहले पूज्य है, इसलिए इन्हें ‘प्रथमपूज्य’ भी कहते हैं. वह गणों के स्वामी भी हैं, इसलिए उनका एक नाम गणपति भी है. इसके अलावा हाथी जैसा सिर होने के कारण उन्हें गजानन भी कहते हैं.

गणपति की स्थापना करते समय इस बात का ध्यान रखें कि मूर्ति का मुंह पूर्व दिशा की तरफ होना चाहिए. गणेश पूजा शुरू करने से पहले संकल्प लेना जरूरी होता है, इसके बाद भगवान गणेश का आह्वान किया जाता है, फिर गणपति की मंत्रों के उच्चारण के बाद स्थापना की जाती है. भगवान गणेश को धूप, दीप, वस्त्र, फूल, फल, मोदक अर्पित किए जाते हैं, इसके बाद भगवान गणेश की आरती उतारी जाती है. भगवान महादेव और मां पार्वती के पुत्र गणेश को विघ्नहर्ता भी कहा जाता है. इसलिए भी हर शुभ काम से पहले इनकी पूजा का विधान है. गणपति की जितनी महिमा है उतने ही उनके स्वरुप हैं. इन स्वरुपों को भगवान गणेश का अवतार भी माना जाता है. गणपति का पहला स्वरूप वक्रतुंड का है. उनका दूसरा स्वरूप एकदंत का है. तीसरा स्वरूप महोदर का है. चौथा स्वरूप गजानन का है. पांचवें लम्बोदर स्वरूप में गणेश जी की पूजा की जाती है. छठवे में गणेश का नाम विकट है. गजानन का सातवां स्वरूप विघ्नराज का है. और आठवां स्वरूप धूम्रवर्ण का है. इसे शिव का स्वरूप भी माना जाता है. गणपति बप्पा के चमत्कार की कई कहानियां है. उनके कई रुप भी है. मध्यप्रदेश के महेश्वर में बप्पा का एक ऐसा रूप है जिसे गोबर गणेश के नाम से पुकारा जाता है. यहां गजानन की गोबर की मूर्ति है. जो हजारों साल पुरानी है, मान्यता है कि यहां नारियल चढ़ाकर भक्त बप्पा की पूजा करनेवाले को बप्पा मनचाहा वरदान देते है.

वक्र तुंड महाकाय, सूर्य कोटि समप्रभ:।
निर्विघ्नं कुरु मे देव शुभ कार्येषु सर्वदा ॥
हे हाथी के जैसे विशालकाय जिसका तेज सूर्य की सहस्त्र किरणों के समान हैं . बिना विघ्न के मेरा कार्य पूर्ण हो और सदा ही मेरे लिए शुभ हो ऐसी कामना करते है.

इस बार गणेश चतुर्थी के मौके पर विशेष योग बन रहा है. ऐसा योग 126 साल बाद बना है. 126 साल बाद सूर्य सिंह राशि में और मंगल मेष राशि में होने से ऐसा विशेष योग बन रहा है. इस योग में गणेश जी की पूजा करने से भक्तों को विशेष फल की प्राप्ती होगी. दरअसल गणेशजी को सभी देवताओं में प्रथम पूजनीय माना जाता है. सृष्टी में प्रथम पूजा का अधिकार महादेव ने गणेश जी को ही दिया है. कोई भी शुभ कार्य करने से पहले गणेश जी की पूजा की जाती है. इससे प्रसन्न होकर गणेशजी सभी काम असान कर देते है. किसी भी शुभ काम करने से पहले की जाती है गणेश भगवान की पूजा
इस पर्व की सबसे ज्यादा रौनक मुबंई में देखने को मिलता है. हालांकि इस बार कोरोना वायरस के कारण सार्वजनिक जगहों पर मूर्ति स्थापना नहीं किया जाएगा. हिन्दू धर्म में शास्त्रों के अनुसार किसी भी शुभ काम करने से पहले गणेश भगवान की पूजा की जाती है. इससे प्रसन्न होकर गणेशजी सभी काम असान कर देते है. आइए जानते है गणेश पूजन की सरल विधि जिससे आप भी आसानी से घर पर खुद ही कर सकते हैं. किसी भी पूजा की शुरुआत में पहले संकल्प लिया जाता है. पूजा से पहले अगर संकल्प ना लिया जाए तो उस पूजा का पूरा फल प्राप्त नहीं हो पाता है. मान्यता है कि संकल्प के बिना की गई पूजा का सारा फल देवराज इन्द्र को प्राप्त हो जाता है, इसीलिए दैनिक पूजा में भी पहले संकल्प लेना चाहिए. इष्टदेव और स्वयं को साक्षी मानकर संकल्प लिया जाता है. संकल्प लेते समय हाथ में जल लिया जाता है. प्रथम पूज्य श्रीगणेश को सामने रखकर संकल्प लिया जाता है, ताकि श्रीगणेश की कृपा से पूजन कर्म बिना किसी बाधा के पूर्ण हो सके. एक बार पूजन का संकल्प लेने के बाद उस पूजा को पूरा जरूर करना चाहिए. इस कर्म से हमारी संकल्प शक्ति मजबूत होती है.

गणेश चतुर्थी शुभ मुहूर्त
सुबह 11 बजकर 07 मिनट से दोपहर 01 बजकर 42 मिनट तक
दूसरा शाम 4 बजकर 23 मिनट से 7 बजकर 22 मिनट तक
रात में 9 बजकर 12 मिनट से 11 बजकर 23 मिनट तक
वर्जित चंद्रदर्शन का समय 8 बजकर 47 मिनट से रात 9 बजकर 22 मिनट तक
चतुर्थी तिथि आरंभ 21 अगस्त की रात 11 बजकर 02 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त 22 अगस्त की रात 7 बजकर 56 मिनट तक

गणेश चतुर्थी पूजा विधि
भगवान गणेश की पूजा के लिए पान, सुपारी, लड्डू, सिंदूर, दूर्वा आदि सामग्री घर ले आएं. भगवान की पूजा करें और लाल वस्त्र चौकी पर बिछाकर स्थान दें. इसके साथ ही एक कलश में जलभरकर उसके ऊपर नारियल रखकर चौकी के पास रख दें. दोनों समय गणपति की आरती, चालीसा का पाठ करें. इसके बाद प्रसाद में लड्डू का वितरण करें.
इन सामग्री से करें भगवान गणेश जी की पूजा
चावल, सिंदूर, केसर, हल्दी, चन्दन,मौली औऱ लौंग जरुर चढ़ाएं, पूजा में दूर्वा का काफी महत्व है. इसके बिना गणेश पूजा पूरी नहीं होती है. गणेश जी को दक्षिणा अर्पित कर उन्हें 21 लड्डूओं का भोग लगाएं. गणेश जी के पास पांच लड्डू रखकर बाकी बांट देने चाहिए.

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