आज है नाग पंचमी, नाग देवता की पूजा से प्रसन्न होते हैं भोले बाबा, मिलता है मन चाहा वरदान

10 July 2020 Panchang: आज श्रावण कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि है। इस दिन मौना पंचमी मनाई जाती है। सावन का ये एक प्रमुख त्योहार है। इस दिन भगवान शिव के साथ नाग देवता की भी पूजा का विधान है। देवघर शिव मंदिर बाबा बैद्यनाथ धाम में इस दिन का बहुत महत्व होता है। विवाहित महिलाएं इस दिन व्रत रखती हैं। सूर्य राशि मिथुन और चंद्र राशि कुम्भ है। नक्षत्र पूर्व भाद्रपद, योग सौभाग्य, करण तैतिल है। जानिए आज के सभी मुहूर्त…

महत्व: मौना पंचमी के दिन शिव के दक्षिणामूर्ति स्वरूप की पूजा का विशेष महत्व होता है। इस रूप में शिव को ज्ञान, ध्यान, योग और विद्या का जगद्गुरु माना गया है। मान्यता है कि इस रूप में शिव की पूजा करने से बुद्धि तथा ज्ञान में बढ़ोतरी होती है जिससे व्यक्ति हर जीवन में सफलता पाता है। इस दिन पंचामृत और जल से शिवा का अभिषेक किया जाता है। हिंदू धर्म में विवाहि‍त मह‍िलाओं के लिए यह दिन विशेष महत्वपूर्ण होता है। कई जगह इस दिन से महिलाएं 15 दिन तक व्रत रखती हैं और हर दिन नाग देवता की पूजा करती हैं।

नाग पंचमी पूजा विधि: नागपंचमी पूजा के आठ नाग देव माने गए हैं- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख। पूजा करने के लिए नाग की फोटो या मिट्टी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर रखकर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। इसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें। फिर उनकी आरती उतारें। इस दिन असली नाग की पूजा करने का भी प्रचलन है। पूजा के अंत में नाग पंचमी की कथा भी सुनी जाती है। नाग पंचमी के व्रत करने के लिए चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को व्रत खोलें।

इस दिन क्यों रखें मौन व्रत: मौना पंचमी को शिव पूजा और मौन व्रत रखने के पीछे यही मूल संदेश है कि मौन मानसिक, वैचारिक और शारीरिक हिंसा पर लगाम लगाने का काम करता है। मौन व्रत व्यक्ति को मानसिक रूप से संयम और धैर्य रखना सिखाता है साथ ही वह शारीरिक ऊर्जा के नुकसान से भी बचने में सफलता दिलाता है। मान्यता है मौना पंचमी के दिन भगवान शिव और नाग देवता की पूजन करने से मनुष्‍य के जीवन में आ रहे कष्ट नष्‍ट हो जाते हैं। कई क्षेत्रों में लोग इस दिन आम के बीज, नींबू तथा अनार के साथ नीम के पत्ते भी चबाते हैं। ऐसा माना जाता है कि ये पत्ते शरीर से जहर समाप्त करने में काफी हद तक मदद करते हैं।

सांपों को लेकर मान्यताएं…माना जाता है कि इच्‍छाधारी नाग होते हैं, जो रूप बदल सकते हैं।कुछ दुर्लभ नागों के सिर पर मणि होती हैं।नागों की स्मरण शक्ति तेज होती है।सौ वर्ष की उम्र पूरी करने के बाद नागों में उड़ने की शक्ति हासिल हो जाती है।सौ वर्ष की उम्र के बाद नागों में दाढ़ी-मूंछ निकल आती है।

नाग खुद का बिल नहीं बनाता, वह चूहों के बिल में रहता है।नाग जमीन के अंदर गढ़े धन की रक्षा करता है। इसे नाग चौकी कहा जाता है।नाग संगीत सुनकर झूमने लगते हैं।नागों को ही सबसे पहले भूकंप, प्रलय या अन्य किसी प्राकृतिक आपता का पता चल जाता है।नाग की केंचुल दरवाजे के ऊपर रखने से घर को नजर नहीं लगती।

नागपंचमी की कथा: किसी राज्य में एक किसान परिवार रहता था। किसान के दो पुत्र व एक पुत्री थी। एक दिन हल जोतते समय हल से नाग के तीन बच्चे कुचल कर मर गए। नागिन पहले तो विलाप करती रही फिर उसने अपनी संतान के हत्यारे से बदला लेने का संकल्प किया। रात्रि को अंधकार में नागिन ने किसान, उसकी पत्नी व दोनों लड़कों को डस लिया। अगले दिन प्रातः किसान की पुत्री को डसने के उद्देश्य से नागिन फिर चली तो किसान कन्या ने उसके सामने दूध का भरा कटोरा रख दिया। हाथ जोड़ क्षमा मांगने लगी। नागिन ने प्रसन्न होकर उसके माता-पिता व दोनों भाइयों को पुनः जीवित कर दिया। उस दिन श्रावण शुक्ल पंचमी थी। तब से आज तक नागों के कोप से बचने के लिए इस दिन नागों की पूजा की जाती है।

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