आज है सावन की दूसरी सोमवारी, देवघर बाबा बैद्यनाथ मंदिर का ऐसा सुनसान नजारा शायद आपने कभी न देखा होगा

Devghar Baba Baidyanath: सावन की दूसरी सोमवारी को सुलतानगंज से देवघर 105 किलोमीटर का रास्ता वीरान पड़ा है। सुलतानगंज में कोरोना की वजह से लाकडाउन और गंगाघाट पर पुलिस तैनात है। तो देवघर का बाबा बैद्यनाथ मंदिर पुलिस के पहरे में बंद है।

4 अगस्त तक एक महीने के लिए पूजा करने की सरकार की मनाही है। कोरोना ने पंडा समाज के कई लोगों को भी चपेट में ले लिया है। इस वजह से बाबा की सरकारी पूजा करने के लिए भी पंडा पुजारियों की संख्या सीमित कर दी है। सरकारी पूजा के बाद मंदिर में ताला जड़ दिया जाता है। यह बात पंडा समाज के शोभन नरोने बताते है। साथ ही कहते है कि सैकड़ों साल में ऐसा नहीं हुआ।

दरअसल द्वादश ज्योर्तिलिंग बाबा बैद्यनाथ अटूट आस्था का केंद्र है। यहां हरेक साल विश्व प्रसिद्ध सावन में कांवड़ियों का मेला लगता है। जो एक महीने तक चलता है। मगर इस बार कोरोना की वजह से पूजा-अर्चना रोक दिए जाने से लाखों श्रद्धालुओं को निराशा हुई है। वहीं हजारों लोगों को आर्थिक चोट भी सहने को मजबूर होना पड़ा है। भागलपुर, बांका, मुंगेर देवघर, दुमका ज़िले के लिए यह एक महीने तक चलने वाला कांवड़ मेला साल भर की रोजी रोटी का जुगाड़ करता था।

मगर इस दफा कोरोना की वजह से पहले लाकडाउन और फिर मेला आयोजित न होना मध्यमवर्ग को तोड़ कर रख दिया है। करोड़ों रुपए के व्यापार और आमदनी को भी धक्का लगा है। मंदिर के पंडा धर्मरक्षणी सभा के महामंत्री कार्तिक ठाकुर का मानना है कि धन हानि से बड़ी जन हानि है। मेला आयोजित न होने से कोरोना का फैलाव रोका गया है। यह झारखंड सरकार का सूझबूझ भरा फैसला है।

वैश्विक महामारी कोरोना को लेकर जारी निर्देश के बाबत सावन मास में एक महिने तक चलने वाले इस मेले के आयोजन पर झारखंड सरकार के रोक के बाद झारखंड हाईकोर्ट ने भी पाबंदी लगा रखी है। नतीजतन समूचे मेला क्षेत्र और करीब एक सौ पांच किलोमीटर लंबे कांवरिया मार्ग पर हर हर महादेव व बोल बम के जयघोष के बजाए सन्नाटा पसरा हैं।

सुर व ताल तथा भक्तिमय माहौल गायब है। रास्ते और देवघर की गलियों तक में जहां तिल रखने की जगह नहीं होती थी, वहां खाली-खाली सा नजारा है। देवघर की शिवगंगा को बांस-बल्लियों से घेर दिया गया है। ताकि कोई श्रद्धालु वहां स्नान न कर सके। कई गलियां कोरोना संक्रमण की चपेट में आने से बंद है। निषिद्ध क्षेत्र घोषित है। शहर में एक दर्जन चेकपोस्ट बने है। बाहरी मुहानों पर नाके बना पुलिस खड़ी है। और आने जाने वाले वाहनों की जांच कर रही है। रेलवे ने बिहार से झारखंड जाने वाली कई ट्रेनें झारखंड सरकार के अनुरोध पर 13 जुलाई से रद्द कर दी है।

सावन की पहली सोमवारी छह जुलाई को थी। तब से बिहार और झारखंड के शिवालय श्रद्धालुओं के लिए बंद है। बल्कि पुलिस का पहरा है। 13 जुलाई को दूसरा सोमवार है। सावन मास में श्रावणी मेला के मौके पर जिले के सुल्तानगंज पहुंचने वाले देश-विदेश के लाखो श्रद्धालुओ के आने पर रोक है।

अब न कोई उत्तर वाहिनी गंगा का पवित्र जल कांवर मे भर सकता है। और न ही करीब एक सौ दस किमी की दुर्गम पैदल यात्रा करते हुए झारखंड के देवघर मे बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक कर सकता है। इस दौरान जहां सुलतानगंज से देवघर तक के संपूर्ण कांवरिया मार्ग गेरुआ वस्त्रधारी श्रद्धालुओं से पट जाता था और बोल बम , हर हर महादेव के जयकारे से गूंज उठता था।

दो राज्यों के बीच श्रद्धालुओं के बनने वाले विशाल मानव श्रृखंला की अनुपम छठा देखने को मिलती थी। और इसमें आपसी वैमनस्ता व भेदभाव सभी खत्म हो जाते थे । इस बार सब गायब है। न कहीं सरकारी या गैर सरकारी सेवा शिविर है और न कोई इंतजाम। पुलिस का बन्दोवस्त तो है। मगर श्रद्धालुओं को रोकने के लिए।

बहरहाल, कोरोना के भय से इस बार श्रावणी मेला का आयोजन न होने से सब कुछ सूना-सूना सा लग रहा है। सदियों पुरानी परंपरा टूटी है। शायद इससे पहले ऐसा न सुना गया , न देखा गया और न पढा गया। इस बार बाबा का जलाभिषेक श्रद्धालुओं द्वारा न होना एक नकारात्मक अध्याय जुड़ गया है। ऐसा सामाजिक सेवक संजय भारद्वाज और सुनील मिश्रा कहते है।

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