उपेंद्र कुशवाहा और मुकेश सहनी को तवज्जो देने के मूड में नहीं RJD, कांग्रेस पर भी सस्पेंस

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PATNA : बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election 2020) की तारीख जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, वैसे-वैसे महागठबंधन (Mahagathbandhan) और एनडीए में सीट शेयरिंग को लेकर अटकलों का दौर भी बढ़ता जा रहा है. महागठबंधन में सीट शेयरिंग को लेकर लगातार उहापोह की स्थिति बनी हुई है. वैसे गठबंधन के महत्वपूर्ण घटक RJD और कांग्रेस के नेता उच्चस्तरीय वार्ता की दुहाई दे रहे हैं, जबकि वीआईपी पार्टी राजद द्वारा खुद को संतुष्ट करने की बात करती नजर आ रही है, लेकिन सबसे ज्यादा अगर फजीहत झेलनी पड़ रही है तो वह उपेंद्र कुशवाहा हैं. दरअसल, शुरुआती दौर में सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जिस तरीके से कुशवाहा ने कांग्रेस का दामन थामा वैसे में राष्ट्रीय जनता दल रालोसपा को तवज्जो देने से गुरेज कर रहा है. कांग्रेस की मानें तो फिलहाल सीट शेयरिंग को लेकर राजद से वार्ता चल रही है, लेकिन यह वार्ता कब पूरी होगी इसका पता कांग्रेस नेताओं को नहीं है. कांग्रेस कितनी सीटों पर चुनाव लड़ेगी इस बात को लेकर कांग्रेसी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं हैं.

सदानन्द सिंह जैसे वरिष्ठ नेता 80 सीट पर चुनाव लड़ने की बात कहते हैं तो पार्टी के बिहार प्रभारी शक्ति सिंह गोहिल यह कहते नजर आते हैं कि कांग्रेस ने कोई फैसला ही नहीं किया है. राजद द्वारा भाव न दिए जाने के बाद दिल्ली में डेरा डाले उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी कम से कम 23 सीटों पर चुनाव लड़ने को की बात कह रही है. वीआईपी की बात है तो पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुकेश सहनी सारा कुछ राजद के हवाले कहने की बात करते हैं. मुकेश साहनी का दावा है कि RJD उन्हें उतनी सीट देने को तैयार है, जितनी उन्होंने मांग रखी है. लेकिन, उनके इस दावे में उत्साह ज्यादा दिखता है और विश्वास कम. सीट शेयरिंग को लेकर मुकेश सहनी यह दावा करते नजर आते हैं कि एनडीए द्वारा भावी प्रत्याशियों और सीट शेयरिंग की घोषणा के बाद ही महागठबंधन इस तरह की घोषणा करेगा, लेकिन राजद एनडीए के पहले सीट शेयरिंग की घोषणा कर देने का दावा कर रहा है.

को-ऑर्डिनेशन कमिटी के मुद्दे पर मांझी को माहागठबन्धन से बाहर जाने को विवश करने वाला राजद 150 से 160 सीटों पर चुनाव लड़ने का मंसूबा पाले हुए है. प्रवक्ता मृतुन्जय तिवारी की मानें तो सहयोगी पार्टियों का ख्याल राजद को है और सबको उनकी हैसियत से सीट मिल ही जाएगी. जाहिर सी बात है कि सीट शेयरिंग को लेकर सहयोगियों की मांग का राजद को कितना ख्याल है यह समझना मुश्किल नहीं है. सीट शेयरिंग का मुद्दा आनेवालों दिनों में कौन सा रूप लेगा यह बता पाना फिलहाल मुश्किल है, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर माहागठबंधन के दलों के बीच खींचतान और बार्गेनिंग से बिहार की राजनीति दिलचस्प दौर में जरूर पहुंच चुकी है.

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