किसान बिल पर बीजेपी के शर्मनाक झूठ

बीजेपी का कहना है कि कांग्रेस ने भी तो मंडी कानून को खत्म करने को कहा था। जी हां, बिल्कुल कहा था।
कांग्रेस का वायदा APMC क़ानून को समाप्त करने का था ताकि कृषि व्यापार को सभी बंदिशों से मुक्त किया जा सके। लेकिन कांग्रेस ये काम किसानों की सुरक्षा के लिए पाँच प्रमुख सुरक्षा कवच तैयार करने के बाद ही करने के पक्ष में थी। और ये पांचों बातें कांग्रेस के घोषणा पत्र में साफ़ साफ़ लिखी हुई है।

पहला: अभी एक मंडी औसतन साढ़े चार सौ वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती है। काँग्रेस का वायदा इसे समाप्त कर हर प्रमुख गांव में ज़रूरी इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ किसान बाज़ार तैयार करने का था।

दूसरा: कांग्रेस ने वायदा किया था कि किसानों के हितों की रक्षा के लिए कृषि आयात और निर्यात की एक विशेष पॉलिसी तैयार की जाएगी।

तीसरा: कांग्रेस ने MSP तय करने नया का सिस्टम सुझाया था। अभी MSP को Commission for Agricultural Costs and Prices (CACP) तय करता है। कांग्रेस का वायदा था कि इसे हटाकर MSP को तय करने की ज़िम्मेदारी एक National commission on agricultural development and planning (NCADP) की होनी चाहिए। इस नए कमीशन में किसान भी मेंबर होंगे और उनका परामर्श MSP तय करते हुए नकारा नहीं जा सकेगा।कांग्रेस ने ऐसा वायदा इसलिए किया था क्योंकि अभी के सिस्टम में किसानों की राय को मानना अनिवार्य नहीं है। उनकी राय को नकारा जा सकता है।

चौथा: सबसे महत्वपूर्ण सुरक्षा कवच कांग्रेस की न्याय योजना थी, जिसमें हमने देश की 20% सबसे ग़रीब परिवारों को 72,000 रुपया सालाना देने का वायदा किया था। ये परिवार सीमांत किसानों और खेतिहर मज़दूरों के हैं.

पांचवां: सुरक्षा कवच के रूप में खाद्य सुरक्षा क़ानून को ठीक से लागू करना था। ये क़ानून UPA की सरकार ने बनाया था जिसके तहत देश के 70% लोग इसका फ़ायदा उठा सकते हैं। यदि इस क़ानून को ठीक से लागू किया जाता है तो किसानों से सरकारी ख़रीद बहुत बढ़ जाएगी।लेकिन मोदी सरकार तो इसे उल्टा कमज़ोर करने की तैयारी में है। 2020 के इकोनॉमिक सर्वे में सरकार ने खाद्य सुरक्षा क़ानून के दायरे में आने वाली जनता की संख्या को 70% से कम करके 20 प्रतिशत तक सीमित करने का सुझाव दिया है।

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