कोरोना से मौत होने पर परिवार वालों की बेशर्मी, शमशान घाट में रखा है अस्थि कलश, कोई न आया लेने

दूसरी लहर में काेराेना ने भिगाे श्मशान घाट का रास्ता स्थायी रूप से खाेल दिया। काेराेना से 2 अप्रैल से मौत की खबर मिलने लगी थी। लेकिन 13 अप्रैल से मृतकाें की संख्या राेज 5 से 12 के बीच बताई गई। इन शवोंं का अंतिम संस्कार करवाना एक समस्या बन गई।

क्योंकि परिजन उसे ले जाने से इनकार करने लगे थे। तब एक-एक बार में छह-छह चिताएं जलाई जा रही थीं। इनकी लपटें दूर दूर तक दिखाई पड़ती थी। लाेग यह सोच कर मर्माहत थे कि अाखिर कब तक थमेंगी अाग की ये लपटें। 13 अप्रैल से 21 मई तक रोज भिगो श्मशान घाट पर काेराेना से मरने वालाें की 4 से लेकर 6 लाशें जलती रहीं। करीब 38 दिनाें के बाद ये लपटें धीमी हुईं। 22 व 23 मई काे एक-एक चिता जली। फिलहाल 35 अस्थि कलश अब भी यहां अपनांे का इंतजार कर रहा है। पहले अंतिम संस्कार के साथ ही लाेग अस्थि कलश काे पवित्र नदियाें में विसर्जित कर देते थे। कबीर सेवा संस्थान के सक्रिय सदस्य नवीन सिन्हा ने बताया कि कि 13 से 21 मई के दाैरान इस श्मशान स्थल पर 118 लाशाें का अंतिम संस्कार एवं शहर के विभिन्न कब्रिस्तानाें में 23 शवाें काे सिपुर्दे ए खाक किया जा चुका है।

काेराेना की पहली लहर में 68 लाेगाें की हुई थी माैत
कोरोना की पहली लहर में 27 मार्च के बाद 9 माह में जिले में मृतकों की संख्या 68 थी। लेकिन होली के बाद मौत का सिलसिला शुरू हुआ तो एक से, दो, तीन तक गया। लेकिन 13 अप्रैल से लगातार यहां चिता जलनी शुरू हुई तो एक रात भी खाली नहीं गई। इसमें दो दिन ही ऐसा था, जब एक शव ही आया, अन्यथा कभी दो, कभी छह, कभी आठ शव आते रहे। लेकिन एक बार में 6 से चिताएं ही जलाई जा सकती थी। शेष का दूसरे दिन अंतिम संस्कार किया जाता रहा।

10 वर्षों बाद जलीं चिताएं : मुक्तिधाम, भिगो 10 वर्षों से वीरान पड़ा था। कोरोना काल में शवों के अंतिम संस्कार के लिए मुक्तिधाम जीर्णोद्वार समिति के सदस्यों ने इसे सुव्यवस्थित किया। लेकिन आम तौर पर पहले लोग यहां शव न जलाकर बाहर मिट्टी खोदकर ही संस्कार करते रहे। कबीर सेवा संस्थान ने यहां लावारिश शव का अंतिम संस्कार करना शुरू किया।

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