गरीब किसान की बेटी बनी IAS अधिकारी, कहा- पापा के संघर्ष के सामने मेरी कठिन तपस्या जीरो है

पटना 1 मई 2023 : मेरा नाम रोहिणी है. मैं एक आईएएस अधिकारी हूं. मेरे पिता गरीब किसान हैं. उनके पास जमीन भी ना के बराबर है. किसी तरह व परिवार का और हमारा गुजर-बसर कर लिया करते थे. मुझे आज भी याद है मैं उस समय 9 साल की थी पापा किसी काम से सरकारी ऑफिसर के पास गए थे. उनको किसी कागज पर हस्ताक्षर करवाना था. अधिकारी उनको टाल रहे थे. हर एक दिन यही कहा जाता था कि कल आना कर देंगे…कल आना कर देंगे… मैंने उसी दिन पैक कर लिया था कि मुझे भी बड़ा होकर अधिकारी बनना है. नमस्कार आप पढ़ रहे हैं डेली बिहार डॉट कॉम…

यह कहानी है आईएएस रोहिणी भजिभाकरे की. रोहिणी 2008 बैच के आईएएस अधिकारी है. वह बताती है कि महाराष्ट्र के सोलापुर में एक छोटा सा गांव है जिसका नाम है उपलाई. इसी गांव में एक छोटे से गरीब किसान के घर मेरा जन्म हुआ था. मैट्रिक तक की पढ़ाई मैंने गांव से की है और इंटर की पढ़ाई सोलापुर से. मैंने मैट्रिक और इंटर में टॉप किया था. पापा ने किसी तरह पढ़ा लिखा कर मुझे इंजीनियर बनाने का फैसला किया लेकिन मैंने तो बचपन में ही तय कर लिया था कि मुझे कलेक्टर बनना है. इंजीनियरिंग करने के दौरान में यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने लगी. हमारे पास कोचिंग ज्वाइन करने के लिए पैसे नहीं थे.

घर में मैं दिन-रात सेल्फ स्टडी करने लगी. साल 2008 में जब रिजल्ट निकला तो पापा खुशी से झूम उठे. गांव वालों का कहना था कि मैंने इतिहास बना दिया है. मुझे सबसे पहले तमिलनाडु में असिस्टेंट कलेक्टर बनाकर पोस्टिंग भी गई थी. बाद में मुझे सलेम का डीएम बनाया गया.

रोहिणी कहती है कि मैं जहां भी अधिकारी बनकर जाती हूं मेरा प्रयास रहता है कि गरीब लोगों से डायरेक्ट बात करूं और उनकी मदद कर पाऊं. क्योंकि मैंने गरीबी देखा है इसीलिए अपने जूनियर अधिकारियों से बात करने के बदले में डायरेक्ट गरीबों से मिलना पसंद करता हूं.

रोहिणी के पिता बताते हैं कि जब मेरी बेटी आईएएस बन गई तो मैंने उसे कहा था कि अब तुम अधिकारी बन गई हो जीवन में एक बात याद रखना, जब भी तुम्हारे पास किसी गरीब का फाइल आए तो उसे डालना मत. तुम बस यह देखना कि हस्ताक्षर करने से कितने लोगों का लाभ होगा. रोहिणी आज भी अपने पिता के उस मूल मंत्र को याद करके काम करती है.

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