चीन की शह पर नेपाल ने अमेरिका के मदद को ठुकराया, मिल सकता है तगड़ा झटका

भारत के साथ नक्शा विवाद में उलझा नेपाल अब अमरीका से भी उलझना चाह रहा है। मिली जानकारी के मुताबिक चीन की शह पर नेपाल अमरीका की मदद ठुकराने जा रहा है। बता दें कि मिलेनियम चैलेंज कोऑपरेशन के तहत अमरीका की ओर से नेपाल को एक बड़ी मदद जारी होनी है, 500 मिलियन डॉलर की इस मदद से नेपाल एक पावर ट्रांसमिशन लाइन और 300 किलोमीटर सड़कों को अपग्रेड करने वाला था। इस मदद को लेकर नेपाल की सत्तारूढ़ पार्टी एनसीपी में मतभेद सामने आए हैं। दरअसल पार्टी को डर है कि इस मदद के कारण चीन के साथ उसके रिश्ते खराब हो सकते हैं। विरोध का तर्क दिया जा रहा है कि एमसीसी का लक्ष्य अमरीका का इंडो-प्रशांत क्षेत्र में चीन के प्रभाव को कम करना है।

बता दें कि अमेरिका-नेपाल के बीच हुए इस समझौते को 30 जून तक संसद से मंजूरी लेनी होगी, लेकिन मतभेद के कारण इसे अभी संसद में पेश ही नहीं किया जा सका है। सीनियर पार्टी लीडर पुष्प कमल दहल प्रचंड, जेएन खनाल, माधव कुमार नेपाल और भीम राव अमेरिकी मदद का विरोध कर रहे हैं। वित्त मंत्री युबराज खाती को नए बजट में इस अमेरिकी मदद को शामिल करने के कारण अपने दल के अंदर ही काफी विरोध का सामना करना पड़ रहा है।

विरोध पर खाती ने कहा, अगर हम यह समझौता रद्द कर देते हैं तो इससे ने केवल अमेरिका के साथ हमारे रिश्तों पर असर पड़ेगा बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नेपाल को मिलने वाली मदद भी प्रभावित होगी। बता दें कि नेपाल की कम्युनिस्ट सरकार लिपुलेख, कालापानी और लिंपियाधुरा को नेपाली भू-भाग प्रदर्शित करने वाले एक नए नक्शे को देश की संसद से पास पास कराने में जुटी है। नेपाली संसद के ऊपरी सदन में विवादित नक्शे को मंजूरी देने के लिए संविधान संशोधन विधेयक को पेश किया गया है। मंगलवार को इस विधेयक पर वोटिंग होगी। माना जा रहा है कि यहां से भी यह विधेयक बहुमत के साथ पारित हो जाएगा। इस पर भारत को यह कहना पड़ा कि इस तरह का कृत्रिम क्षेत्र विस्तार का दावा स्वीकार्य नहीं है।

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