चीफ जस्टिस ने माना बिहार में खराब है सड़कों का हाल, ट्रेन से लौटे; इतने गड्‌ढे थे कि गाड़ी वहीं छोड़ा

चीफ जस्टिस पटना से गया सड़क मार्ग से गए, ट्रेन से लौटे; कहा- इतने गड्‌ढे थे कि गाड़ी वहीं छोड़कर आ गया

पटना-गया सड़क की बदहाली से परेशान पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश संजय करोल को पटना से गया जाने के बाद अपनी गाड़ी गया में ही छोड़कर ट्रेन से वापस लौटना पड़ा। बाद में उन्होंने इस सड़क की दुर्दशा पर गहरी नाराजगी जतायी। दरअसल, मुख्य न्यायाधीश प्रशासनिक दौरे पर सोमवार को पटना से गया सड़क मार्ग से गए।

जाने के क्रम में गड्ढों की परेशानियों की वजह से अपनी कार को गया में ही छोड़ उन्हें रेल मार्ग से गया से पटना आना पड़ा। उन्होंने कहा कि वहां जाने के बाद उनकी हिम्मत सड़क से लौटने की नहीं हुई। मुख्य न्यायाधीश ने यह भी कहा कि पटना-गया सड़क की जो स्थिति एनएचएआई द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष पेश की गई वह यथार्थ से परे है। इस मामले में आगे की सुनवाई आगामी बीस दिसंबर को होगी।

कोर्ट ने सड़क की रिपोर्ट मांगी मुख्य न्यायाधीश ने पटना हाईकोर्ट के वरीय अधिवक्ताओं से उक्त सड़क मार्ग का मुआयना कर एक स्वतंत्र रिपोर्ट कोर्ट को देने को कहा है। इसके अलावा मौखिक रूप से केंद्र सरकार के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल सत्यदर्शी संजय, राज्य सरकार के अपर महाधिवक्ता अंजनी कुमार को अपने साथ एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी व प्रोजेक्ट डायरेक्टर को लेकर पटना- गया सड़क की मौजूदा स्थिति की रिपोर्ट कोर्ट को देने को कहा है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपना यह मौखिक आदेश नवीन कुमार सिंह के उस मामले के दौरान दिया जिसमें भारी बारिश की वजह से पटना के जलमग्न होने के मामले पर सुनवाई हो रही थी।

एनएच 106 की दुर्दशा पर तत्कालीन चीफ जस्टिस ने की थी टिप्पणी-ऐसा लगा मानो वैतरणी पार कर रहा हूं

एक साल के अंदर यह दूसरा मामला है जब पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को सूबे में बदहाल हाईवे से हुई परेशानी से रूबरू होना पड़ा और अपनी पीड़ा वकीलों से साझा करना पड़ा।

विदित हो कि इसी वर्ष जनवरी के पहले हफ्ते में ही हाईकोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश एपी शाही ने वीरपुर (सुपौल) से मधेपुरा के बीच निर्माणाधीन एनएच 106 पर होने वाली परेशानियों का जिक्र करते हुए यह टिप्पणी की थी कि उस गड्‌ढे और धूल भरे एनएच पर चंद किलोमीटर गाड़ी से जाने में घंटे लग गए।

उन्होंने कहा था कि ऐसा लगा मानो वैतरणी (नदी) पार कर रहे हों। बाद में मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने मधेपुरा से गुजरने वाली एनएच की दुर्दशा व उस के निर्माण में हो रही देरी पर स्वतः संज्ञान लेते हुए उसे एक पीआईएल मामले के तौर पर सुनना शुरू किया था।

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