दिल्ली-मुम्बई लौट रहे मजदूरों का छलका दर्द, कहा-भूख से कही बेहतर है कोरोना, रोजी-रोटी जरूरी है

भूख से कही बेहतर है कोरोना, रोजी-रोटी से वंचित यूपी में प्रवासी मजदूरों का छलका दर्द

भारत में कोरोनावायरस महामारी के चलते लगाए गए लॉकडाउन का सबसे बुरा असर जिस वर्ग पर पड़ा है, वह है प्रवासी मजदूर। देशभर में लॉकडाउन के दौरान अपनी नौकरी गंवाने वाला यह वर्ग खाना मिलने की आस में अपने राज्यों को तो लौटा, लेकिन इसके बावजूद उनकी समस्याओं का अब तक अंत नहीं हो पाया है। ऐसा ही हाल उत्तर प्रदेश के कामगारों का है, जो अब फिर से काम पर लौटना चाहते हैं। इन मजदूरों का कहना है कि उनके लिए भूख से मरने से बेहतर है कोरोनावायरस से म’रना।

गौरतलब है कि अब तक करीब 30 लाख प्रवासी मजदूर अलग-अलग राज्यों से उत्तर प्रदेश लौट चुके हैं। इनमें बड़ी संख्या में लोग पूर्वांचल के जिलों में भी पहुंचे हैं। अब यहां आए लोग काम के लिए फिर से दूसरे राज्य जाने की तैयारियों में जुट गए हैं। न्यूज वेबसाइट एनडीटीवी के मुताबिक, ऐसे ही एक व्यक्ति खुर्शीद अंसारी अपने बच्चों के लिए गोरखपुर से वापस मुंबई जाना चाहते हैं, जहां से कुछ समय पहले ही वे काम बंद होने के बाद लौटे थे।

खुर्शीद अंसारी के मुताबिक, “अगर उत्तर प्रदेश में रोजगार होता, तो हम कभी न लौटते। मेरी कंपनी अभी शुरू नहीं हुई है, लेकिन मैं लौट रहा हूं ताकि जहां काम मिले वहां जा सकूं। भूख से बेहतर कोरोना है। अच्छा होगा कि बच्चों के कोरोना संक्रमित होने से पहले मैं ही कोरोना से म’र जाऊं।”

एक अन्य व्यक्ति दिवाकर प्रसाद के मुताबिक वे कोलकाता की एक फर्म में काम करते थे। वे होली के दौरान यूपी आए थे और फिर यहीं फंस गए। उन्होंने बताया कि उनकी कंपनी खुल गई है और उन्हें अपने पांच बच्चों और पत्नी को पालने के लिए कोलकाता लौटना ही होगा। वर्ना उनके परिवार के पास खाने और रहने के लिए कुछ नहीं बचेगा।

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश सरकार पहले ही कह चुकी है कि वह राज्य में लौटे प्रवासी मजूदरों के लिए रोजगार मुहैया कराएगी। शनिवार को ही यूपी सरकार ने दावा किया कि मनरेगा के तहत यूपी में रिकॉर्ड लोग काम कर रहे हैं और 60 लाख लोगों के लिए छोटे उद्योगो में रोजगार पैदा किए जा रहे हैं। हालांकि, सरकार के रोजगार देने तक का सब्र अब टूटता दिख रहा है। अब भी लाखों की संख्या में मजदूर यूपी में ही रहना चाहते हैं, हालांकि कई अन्य कोरोना के बावजूद जोखिम उठाकर काम पर लौटना चाहते हैं।

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