दिल्ली में BJP को मिली ऐतिहासिक कामयाबी.…लगभग 400% ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीदें !

दिल्ली में BJP को मिली ऐतिहासिक कामयाबी.…लगभग 400% ज्यादा सीटें मिलने की उम्मीदें !
दिल्ली में विधानसभा चुनाव 2020 (Delhi Assembly Election 2020) के नतीजे अब धीरे-धीरे साफ होने लगे हैं. अब तक आए रुझानों में अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी (AAP) 50 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि बीजेपी (BJP) 20 सीटों पर बढ़त बनाए हुए हैं.

आप के संयोजक और दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवल ने विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार की शुरुआत बीजेपी की ओर यह सवाल दागते हुए किया था कि – ‘क्या आपकी पार्टी में सीएम फेस है?’ प्रचार के दौरान पार्टी ने TINA फैक्टर का खूब इस्तेमाल किया. यानी देयर इज नो आल्टर्नेटिव (कोई विकल्प नहीं है.). आप ने इसी के इर्द-गिर्द अपना प्रचार अभियान बनाये रखा. साथ ही जनता के बीच बीते पांच साल में विकास कार्यों के बारे में भी लोगों को जानकारी दी.

सीएम फेस को लेकर आप के सवाल से बीजेपी की सारी जिम्मेदारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर आन पड़ी. इस बात में कोई शक नहीं कि बीते 6 साल के भीतर यह साबित हो चुका है कि पीएम मोदी बीजेपी के लिए वोट खींचने वाले सबसे बड़े चेहरा हैं. उन्होंने अपनी पार्टी को कई ऐसे मौकों पर जीत दिलाई है, जहां कोई उम्मीद नहीं कर सकता था.

हालांकि पिछले छह वर्षों में जब भी भाजपा विधानसभा चुनावों में उतरती है तो उसके दो अलग-अलग पैटर्न सामने आए हैं. लोकसभा में मिले बीजेपी को वोट दोबारा रिटेन नहीं होते और अगर चुनौती विपक्ष के एक विश्वसनीय सीएम फेस से मिल रही हो तो विपक्ष इस मौके को भुना लेता है.

दिल्ली के विधानसभा चुनाव में भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ने को लेकर आप ने लोगों तक यह संदेश पहुंचाया कि यह राष्ट्रीय नहीं बल्कि राज्य के चुनाव हैं. राष्ट्रीय मुद्दों पर लोगों ने कुछ महीने पहले बीजेपी को केंद्र सरकार के लिए मतदान किया है.

इतना ही नहीं आप ने साल 2020 के इस विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा साल 2019 के लोकसभा चुनाव में की गई गलती को नहीं दोहराया. उसने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर सीधा अटैक नहीं किया. दिल्ली में प्रचार के शुरुआती चरण में जहां आम आदमी पार्टी ने एजेंडा सेट किया तो वही भारतीय जनता पार्टी बीच रास्ते अपनी रणनीति बदलनी पड़ी. बीजेपी ने शाहीनबाग पर निशाना साधा. दिल्ली में पहली बार, बीजेपी ने कई उकसाने वाले नारों का इस्तेमाल किया.

पीएम मोदी ने विकास पर बात की, अन्य नेताओं ने जामिया और जेएनयू में कैडर वोटों को जुटाने के लिए प्रचार किया. बीजेपी और आप ने विभिन्न मुद्दों पर नैरेटिव सेट करने में भी काफी मदद की. शाहीनबाग में हुए गोलीकांड में जहां पुलिस ने बताया कि कथित तौर पर कार्यकर्ता का कनेक्शन आप से है तो वहीं आप ने उसके परिजनों का वीडियो जारी कर जवाब दिया. इतना ही नहीं गिरिराज सिंह तक को रिठाला में एक ज्वेलर्स की दुकान पर की गई खरीददारी का बिल तक ट्वीट करना पड़ा.

इतना ही नहीं मतदान के दिन तक बीजेपी ने आम आदमी पार्टी पर निशाना साधने में कोई कोशिश नहीं छोड़ी. वहीं कांग्रेस की बात करें तो वह लगभग गायब ही रही. बीते तीन साल से कांग्रेस शीला दीक्षित के नाम पर वोट मांग रही थी. आज के समय में डिजिटल रूप से कैंपेन मदद करते हैं. पार्टी या नेता जो मतदाता को चुनाव के दौरान कन्विन्स करने में सफल रहते हैं उनके अनुकूल परिणाम की संभावना अधिक होती है.

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