देश की अखंडता के लिए चिथरों में बंट गए राजीव… – Daily India

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एक ऐसा नेता जो सुरक्षा घेरे से नफ़रत करता था, एक ऐसा प्रधानमंत्री जो बिना ड्राइवर के खुद अपनी जीप चलाता था। भारतीय राजनीति का एक ऐसा चमकता सितारा जो ना केवल जमीन पर हुकूमत करता था बल्कि लोगो के दिल पर भी उसका उतना ही दबदबा था। स्वभाव से गंभीर लेकिन आधुनिक सोच और निर्णय लेने की अद्भुत क्षमता वाला वो नेता भले ही आज इस दुनिया में नहीं है, लेकिन हिंदुस्तान कि मिट्टी के ज़र्रे ज़र्रे में उसकी खून की महक ताज़ी है।

उसने अपनी पढ़ाई कैम्ब्रिज से पूरी की थी, फिर पायलट कि नौकरी की.. लेकिन मां की शहादत के बाद जब उसने पार्टी की कमान संभाली तो लोकसभा में रिकॉर्ड 401 सीटें हासिल कीं। उसने अपने सपने को देश की धरातल पर मूर्तरूप देकर उतारने के लिए अपने बेहद छोटे कार्यकाल में ही युद्धस्तर पर कार्य करना शुरू कर दिया था।

अपने खुले मंचो से उस नेता ने इक्कीसवीं सदी के आधुनिक विकसित भारत के निर्माण के लिए समर्थन हासिल किया था और जब सत्ता हाथ आई तो अपने सपने को साकार करने के लिए देश में कई क्षेत्रों में नई पहल की, जिनमें संचार क्रांति और कम्प्यूटर क्रांति, शिक्षा का प्रसार, 18 साल के युवाओं को मताधिकार, पंचायती राज, आदि शामिल हैं। आज हर हाथ में दिखने वाला मोबाइल उसी राजनेता के दूरगामी फैसलों का नतीजा है।

कोई नेता इतना भी ईमानदार हो सकता है क्या? जो खुद ही अपनी व्यवस्था की लच्चर स्थिति की मुखालफत करे? शायद नहीं, लेकिन वो करता था. और खुले मंच से करता था, उसने ही कभी कहा था, ‘सरकार 1 रुपया भेजती है, लोगों तक 15 पैसे पहुंचते हैं…’ इस भाषण में उसने भ्रष्टाचार का जिक्र किया था और ये भी कहा था, भ्रष्टाचार ग्रासरूट लेवल पर है जिसे दिल्ली से बैठकर दूर नहीं किया जा सकता।

आज राजीव गांधी की पुण्यतिथि है। आज ही के दिन 1991 की रात एक आत्मघाती बम धमाके में राजीव गांधी की हत्या कर दी गई थी। देश की खातिर उनके परिवार को उनका पार्थिव शरीर चिथरों में मिला था।

वो बस कांग्रेस के नेता नहीं थे, वो सत्तर करोड़ भारतीयों का नेता थे। उनकी एक ‘पहल’ के कारण अटलजी को ‘जीवनदान’ मिला था. जब राजीव को वाजपाई के इंफेक्शन के बारे में पता चली तो वे चिंतित हो गए और उन्‍होंने एक योजना के तहत उन्‍हें अमेरिका भेजने की व्‍यवस्‍था की. अटल ने बताया था, राजीव गांधी ने उनको अपने दफ्तर में बुलवाया. उन्होंने वाजपेयी से कहा कि अमेरिका में संयुक्त राष्ट्र संघ के एक कार्यक्रम में आपको भारतीय प्रतिनिधिमंडल का हिस्सा बनना है. उसके बाद राजीव ने कहा कि आप न्यूयॉर्क जाएंगें तो मुझे अच्छा लगेगा. मुझे उम्मीद है कि आप इस अवसर का लाभ उठाएंगें और वहां अपना इलाज कराएंगें. मैंने विदेश विभाग के अधिकारियों को बता दिया है और वे आपका इलाज करा कर हीं भारत लौटेंगे. राजीव की इस अपनेपन से भरे व्‍यवहार से अटलजी भावुक हो गए थे. अमेरिका से इलाज कराकर वे स्‍वस्‍थ होकर भारत लौटे थे. ऐसे कई किस्से है जो बताते है कि राजीव कितने महान थे

अपने राजनीतिक कार्यकाल में देश को तकनीक और वैश्विक बुलंदियों तक पहुंचाने वाले शहीद राजीव गांधी हमेशा याद किए जाएंगे।

© प्रियांशु

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