नरसिंह राव सरकार ने बहुमत जुटाने के लिए 50 लाख में खरीदे थे सांसद : अजीत पवार के बयान से महाराष्ट्र की सियासत गरमाई

एनसीपी मुखिया शरद पवार के भतीजे और महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री अजीत पवार के खुलासे की वजह से कांग्रेस के माथे पर बल पड़ गया है. सोलापुर जिले के करमाला तहसील में आयोजित अपनी हालिया सभा में अजीत पवार ने दो टूक शब्दों में दावा किया कि कांग्रेस के पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव की सरकार बचाने के लिए सांसदों की खरीद-फरोख्त हुई थी.

अपने चिर-परिचित अंदाज में मंच से सभा को संबोधित करते हुए अजीत पवार ने कह दिया कि वर्ष 1991 में जब वे पहली बार सांसद बने तब नरसिंह राव की सरकार को बहुमत के लिए कुछ सांसद कम पड़ रहे थे. ऐसे में कुछ सांसद तोड़े गए. वह भी महज 50-50 लाख रुपये में. ऐसी जानकारी उन्हें थी. तब अजीत पवार बारामती लोकसभा क्षेत्र से सांसद चुने गए थे. जिस चुनाव क्षेत्र की बाद में लंबे समय तक उनके चाचा शरद पवार ने नुमाइंदगी की.

अपने इस बयान से पहले अजीत पवार यह बताने से भी नहीं चूके कि एक समय था जब 50 लाख रुपये में सांसद या विधायक बिकता था. आजकल तो एक पार्षद इतने पैसे में नहीं टूटता.

इस बयान पर कांग्रेस सकते में आ चुकी है. अजीत पवार का बयान तब आया है जब महाराष्ट्र में निकाय चुनाव के लिए आचार संहिता लागू हो चुकी है और कांग्रेस-एनसीपी गठबंधन का फैसला होना बाकी है.

ऐसे में अजीत पवार के सीनियर रह चुके पूर्व मुख्यमंत्री और महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष अशोक चव्हाण ने आनन-फानन में यह खुलासा अस्वीकार कर दिया है. पार्टी के मुंबई स्थित मुख्यालय में मीडिया को दिए बयान में चव्हाण ने कहा कि कांग्रेस ऐसी पार्टी है ही नहीं कि पैसे के दम पर जनप्रतिनिधियों की खरीद-फ़रोख़्त करें. अजीत पवार जो कह रहे हैं उसकी बेहतर सूचना उन्हीं के पास होगी.

ज्ञात हो कि भारतीय राजनीति में जेएमएम कांड के नाम से कुख्यात हो चुके केस में आरोप लगे थे कि पीवी नरसिंह राव सरकार को सत्ता में बने रहने के लिए रिश्वत दी गई, जिसे लेकर कोर्ट में मामला भी चला.

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