नीतीश कुमार खुद को PM मैटेरियल मानते हैं… जब बिहार नहीं संभल रहा तो देश क्या संभलता

नीतीश कुमार खुद को पीएम मैटेरियर मानते हैं… जब राज्य नहीं संभल रहा तो देश क्या संभलता


बिहार में कोरोना की स्थिति भयावह रूप ले चुकी है… ऐसे में नीतीश कुमार से सवाल पूछना गलत है.. हां गलत ही जनता मास्क ना लगाएं तो व्यवस्था अस्पतालों की सीएम क्यों करें.. चार महीने में चार अस्पताल भी दुरुस्त नहीं कर पाए तो जिम्मेदार जनता ही होगी…

खैर 2014 से बात कर लीजिए खुद को पीएम कैंडिडेट मानते हैं नीतीश कुमार.. सुशासन बाबू कहलाते हैं… लेकिन मेरी नजर में ये ईगो कुमार हैं.. राज्य में इनका पोस्टर छपे, अखबारों में फोटो और हर जगह नाम दरअसल इन्हें बस यही चाहिए.. तभी तो पार्टी में कोई इनके कद के बराबर भी दूर- दूर तक नहीं है.. और बिहार सरकार में नंबर दो कौन ये आप शायद सुशील मोदी को कहें तो वो भी गलत ही होगा…

नंबर एक से लेकर आखिर तक नीतीश कुमार हैं.. अहम कुमार, मैं कुमार, अति कुमार, ईगो कुमार जो भी नाम दे दीजिए.. लेकिन बिहार में कोरोना से अगर एक भी मौत हुई तो उसके जिम्मेदार सिर्फ और सिर्फ नीतीश कुमार हैं… जब कम केस थे तो अपनी पीठ थपथपा रहे थे अब जब मामला बढ़ गया है तो पीठ दिखा रहे हैं… अब सोचिए जरा कि अगर ये पीएम बन गए थे तो देश के क्या हालात होते…

खैर फॉरकास्ट नहीं करना चाहिए कि ये होता तो ये हो जाता.. जो हो रहा है बात उसी की करनी चाहिए.. आप किसी प्राइवेट अस्पताल में फोन कर लीजिए जहां कोरोना के लिए बेड आरक्षित करने के लिए कहा गया है कोई जवाब नहीं मिलेगा.. शहरों के जो भी अधिकारी हैं वो तो कब से गायब हैं.. एंबुलेंस, दवाई जब भगवान भरोसे..

ऊपर से सरकार कह रही है कि होम क्वारंटीन में सबको दवाई पहुंचाई जाएगी.. लेकिन बिहार में क्या कोरोना किट में घोटाला नहीं होगा ये तो संभव ही नहीं और बीमार तक दवाई पहुंच जाए ये सरकार के बस में नहीं…. तो फिर क्या ईगो कुमार क्वारंटीन ही रहेंगे… जो भी हो शासन बेहाल है और सुशासन तो भगवान भरोसे…

इंद्रमोहन कुमार

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