नोटबंदी-आर्टिकल 370 हटने के बाद भी नहीं बदले कश्मीर के हालात, मोदी सरकार पर उद्धव ठाकरे का तंज

PATNA : करीब एक साल पहले तक केंद्र में भाजपा की सहयोगी रही शिवसेना ने मोदी सरकार पर निशाना साधा है। शिवसेना का कहना है कि 2016 में नोटबंदी करने, 2019 में आर्टिकल 370 हटाने और जम्मू कश्मीर को दो केंद्रशासित प्रदेशों में बांटने के बावजूद जम्मू एंड कश्मीर में सुरक्षा स्थिति में कोई सुधार नहीं हुआ है। शिवसेना ने इस बात को लेकर भी सवाल उठाया है कि जब केंद्र में ‘मजबूत’ सरकार है तो नवगठित केंद्रशासित प्रदेश में शांति क्यों नहीं है? शिवसेना के मुताबिक, नवगठित दोनों केंद्रशासित प्रदेशों में स्थिति पहले जैसे ही है।

शिवसेना ने अपने मुखपत्र ‘सामना’ में छपे संपादकीय में ये बातें कहीं हैं। उसने कहा है, ‘हर रोज सड़कों पर खून बह रहा है। निर्दोषों की जान जा रही है। नोटबंदी के बावजूद आतंकी गतिविधियों और फर्जी नोटों के चलन में कोई राहत नहीं है।’ हाल ही में जम्मू कश्मीर के सोपोर में हुई मुठभेड़ का हवाला देते हुए संपादकीय में लिखा गया है कि तीन साल के एक बच्चे के अपने नाना के शव पर बैठे होने की तस्वीरें हृदय-विदारक हैं।

यह मुठभेड़ तब हुई थी जब आतंकियों ने केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक टीम पर हमला बोल दिया था। उस आतंकी हमले में एक जवान शहीद हो गया। एक बुजुर्ग आम नागरिक की भी मौत हो गई थी। उस बुजुर्ग के साथ उनका तीन साल का नाती भी था। नाती को बाद में सुरक्षाबलों ने गोलीबारी के बीच सुरक्षित निकालकर उसकी मां के पास पहुंचाया था।

संपादकीय में कहा गया है, ‘छोटा बच्चा भागा नहीं, बल्कि अपने नाना को जगाने की कोशिश कर रहा था। कुछ केंद्रीय मंत्रियों ने अपने ट्विटर हैंडल पर उसकी तस्वीर ट्वीट की। उन मंत्रियों को समझना चाहिए कि वह तस्वीर केंद्र सरकार की विफलता बताती है। आखिर घाटी में स्थिति की जिम्मेदारी सरकार की है। बच्चा यह नहीं जानता कि उसके नाना की मौत हो गई है। वह उन्हें जगाने की कोशिश करता है। ऐसी तस्वीरें केवल सीरिया, मिस्र, सोमालिया और अफगानिस्तान जैसे देशों में ही सामने आई हैं।’

शिवसेना ने कहा कि इस तस्वीर से देश और केंद्र सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा है। संपादकीय में पूछा गया कि जवानों ने बच्चे को बचा लिया, लेकिन उसका भविष्य क्या है? क्या सरकार के पास कोई उत्तर है? शिवसेना ने कश्मीरी पंडितों का भी मुद्दा उठाया। शिवसेना ने कहा कि केंद्र सरकार ने पिछले साल अगस्त में जम्मू कश्मीर में आर्टिकल 370 खत्म कर दिया था, लेकिन आतंकी हमलों में जवान शहीद हो रहे हैं। विस्थापित कश्मीर पंडितों की कोई ‘घर वापसी’ नहीं हो रही है।

संपादकीय में पाकिस्तान और चीन से लगती सीमाओं पर बढ़ते तनाव को लेकर चिंता जताई गई। शिवसेना ने कहा, ‘पिछले 6 महीने में कश्मीर में आतंकी गतिविधियां बढ़ी हैं। हालांकि, हमारे जवानों ने कई आतंकियों का सफाया किया है, लेकिन शहीद सैनिकों की संख्या भी कम नहीं है।’ संपादकीय में सरकार से कश्मीर में अलगाववादियों और लद्दाख में चीनियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की गई है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *