पीयू की जमीन पर बनेगा डॉल्फिन रिसर्च सेंटर, देश-विदेश के विशेषज्ञ शोध करने आएंगे बिहार

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PATNA : गंगा किनारे पटना यूनिवर्सिटी की जमीन पर अक्टूबर से डॉल्फिन रिसर्च सेंटर बनेगा। इसका प्राक्कलन तैयार कर स्वीकृति के लिए सरकार काे भेजा गया है। इस माह के अंत तक सरकार की मंजूरी मिल सकती है। मंजूरी मिलने के बाद अगले माह के अंत तक निर्माण प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी। करीब 28 करोड़ की लागत से करीब 4400 वर्गमीटर जमीन पर रिसर्च सेंटर बनेगा। भवन जी प्लस टू बनेगा। इसके लिए भवन निर्माण विभाग ने तकनीकी स्वीकृति दे दी है। यह देश का पहला गांगेय डॉल्फिन रिसर्च सेंटर होगा। रिसर्च सेंटर बन जाने से यहां देश-विदेश के विशेषज्ञ शोध करने के लिए आएंगे। पटना विश्वविद्यालय के छात्रों को भी डॉल्फिन पर शोध करने का मौका मिलेगा। केंद्र सरकार की तरफ से रिसर्च सेंटर के निर्माण के लिए वर्ष 2013 में ही 19 करोड़ रुपए मिले थे। इसके लिए पटना लॉ कॉलेज के पास गंगा तट पर पटना विश्वविद्यालय की भूमि चिह्नित की गई। लेकिन भूमि हस्तांतरित करने की प्रक्रिया को लेकर यह प्रोजेक्ट कई वर्षों तक फंसा रहा। पांच अक्टूबर, 2018 को विश्व डॉल्फिन दिवस पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जमीन नहीं मिलने पर डॉल्फिन रिसर्च सेंटर को भागलपुर स्थानांतरण करने की बात कही थी। इसके बाद पटना विश्वविद्यालय ने अपनी जमीन वन विभाग को दी। 2019 में विश्व डॉल्फिन दिवस पर भवन निर्माण का कार्यारंभ होना था, लेकिन किसी कारण से रुक गया। अब सभी बाधाएं दूर कर ली गई हैं।

फरवरी 2019 में वन विभाग के सर्वे के प्रजेंटेशन में करीब 1448 डाॅल्फिन दिखी थी। सर्वे यूपी बॉर्डर चौसा से कटिहार के मनिहारी तक गंगा और दो सहायक नदियाें काे मिलाकर करीब 1300 किलोमीटर में किया गया था। रिसर्च सेंटर में डॉल्फिन के भोजन, नदी के किस जगह पर रहना सुरक्षित है, नदी में जल की मात्रा क्या होना चाहिए, सहायक नदियों में डॉल्फिन कैसे रह रही है, कहां-कहां खतरा है, इन तमाम चीजों पर रिसर्च किया जाएगा। अगर देश की किसी नदी में डॉल्फिन की मृत्यु हो जाती है तो उसे रिसर्च सेंटर में लाकर उस पर वैज्ञानिक रिसर्च करेंगे। अगर डॉल्फिन कहीं जख्मी मिलती है तो उसे लाकर इलाज किया जाएगा।

डॉल्फिन रिसर्च सेंटर निर्माण करने के लिए सरकार काे प्रस्ताव भेजा गया है। मंजूरी मिलने के बाद आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। पटना यूनिवर्सिटी की जमीन पर सेंटर का निर्माण होगा। -पीके गुप्ता, मुख्य वन्य प्राणी प्रतिपालक, वन विभाग

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