प्रशांत भूषण ने देश को गिफ्ट किया था नक़ली गांधी, उसके बनाए माहौल से आज देश रसातल में है

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नागरिक अधिकारों की रक्षा अनिवार्य है। इसके बिना लोकतंत्र जीवित नहीं रह सकता। प्रशांत भूषण जी के पक्ष में डटकर खड़े होना चाहिए। उनके साहस की जितनी तारीफ़ की जाए, कम है। लेकिन उनके स्टेटमेंट के बाद कई लोग उनमें गांधी ढूंढने लगे हैं। लेकिन माफ़ कीजिएगा वो मेरे लिए गांधी नहीं हैं। आठ साल पहले उन्होंने देश को अन्ना हजारे रूपी एक नकली गांधी गिफ्ट किया था। उस नकली गांधी के बनाए माहौल ने ही देश को आज इस रसातल में पहुंचाया है।

इतिहास का छात्र होने के नाते मेरी याददाश्त स्थाई है। हम भुला सकते हैं लेकिन भूल नहीं सकते। आज वो स्वयं जो नमक चख रहे हैं, वो उन्हीं की फैक्ट्री का उत्पाद है। इंडिया अगेंस्ट करप्शन से लेकर वाया अन्ना आंदोलन आख़िरकार आम आदमी पार्टी तक चलने वाला आंदोलन भला किसके दिमाग की उपज था? क्या 2012 में उन्हें वाकई नहीं पता था कि वो किस ख़तरे से खेल रहे हैं? विवेकानंद फाउंडेशन किस विचारधारा का हामी है, यह सबको पता था। उसके दफ़्तर में हुई इंडिया अगेंस्ट करप्शन की तमाम बैठकों में कई भाजपा – आरएसएस के नेता भी आते थे।

लेकिन कांग्रेस के धुर विरोध की धुन में जो तमाम सारे लोग इस आफ़त को गले लगा बैठे, प्रशांत भूषण जी उनके अगुवा थे। इसलिए मेरे जैसे लोग उनको आज की परिस्थितियों का दोषी मानते हुए उनके साथ हैं। जो लिख रहा हूं, उसका अपना जोखिम है। लेकिन राजनीति जोख़िम का विषय है भावुकता का नहीं। हर बार एक ही मुक्तिदाता बार – बार चुनेंगे तो हमारा आकलन गलत है।

जो लोग भ्रष्ट कांग्रेस को जड़ से उखाड़ने की कसम लिए थे, वही लोग अब भाजपा से लड़ेंगे? हम मानते हैं कि बिल्कुल लड़ सकते हैं और लड़ना पड़ेगा। लेकिन एक बात स्वीकार करनी होगी और एक सावधानी बरतनी होगी। प्रशांत भूषण जी आदि को सार्वजनिक रूप से यह स्वीकारना चाहिए कि उनसे एक महान गलती हुई थी। सावधानी यह कि इतना गलत आकलन करने वाले व्यक्ति को एक बार फिर गांधी नहीं बताना होगा।

इसके बाद प्रशांत भूषण जी की न्यायिक लोकतंत्र की प्रतिबद्धता की सराहना होनी चाहिए। सार्वजनिक मुद्दों पर पी आई एल को लेकर उनके उत्साह को सलाम करना चाहिए। सीजेआई के अहंकार की भर्त्सना करनी चाहिए कि उन्होंने अपने घमंड में न्याय की धज्जियां उड़ाई हैं। आइए प्रशांत भूषण के पक्ष में खड़े हों और सर्वोच्च न्यायालय की गरिमा को बरकरार रखने की मांग उठाएं। लेकिन सावधान! अब कोई अन्ना हजारे टीम का आदमी नहीं चाहिए। अब वो इतना अहसान करें कि हम पर कोई अहसान ना करें।

(Saurabh Bajpai जी की वाल से)

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