बिहार के पंडित गंगाधर पाठक ने अयोध्या में करवाया राम मंदिर का भूमि पूजन, मुख्य यजमान बने PM मोदी

अयोध्या में पीएम मोदी को पूजा कराने वाले मुख्य पुरोहित मिथिला के पंडित गंगाधर पाठक

मिथिला से भगवान श्रीराम का अटूट रिश्ता है। मान्यताओं के मुताबिक मिथिला श्रीराम का ससुराल तो जनक नंदिनी सीता का मायका है। मिथिला में जमाई बाबू को बहुत मान सम्मान दिया जाता है औऱ बहन के ससुराल में कोई भी काम हो तो मायके वाले वहां पहुंचकर तन मन से सपोर्ट करते हैं। आज का दिन कई मायनों में ऐतिहासिक रहा, सदियों की प्रतीक्षा के बाद अयोध्या में भगवान श्रीराम के मंदिर निर्माण का आज भूमिपूजन संपन्न हुआ।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भूमिपूजन कार्यक्रम में खास तौर पर हिस्सा लिया। इस क्षण को ऐतिहासिक माना जाता है और इस पलों को प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रूप से करोड़ों लोगों ने देखा। सब कुछ शास्त्रीय विधि-विधान से संपन्न किया गया। क्या आप जानते हैं कि भूमिपूजन की इस पूरी प्रक्रिया को किनके मार्गदर्शन में संपन्न किया गया। बिहार के मिथिला क्षेत्र के बेगूसराय के मूल निवासी पंडित गंगाधर पाठक आज मुख्य पुरोहित थे।

पंडित गंगाधर पाठक ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भूमिपूजन का अतिविशिष्ट पूजा संपन्न करवाया। संपूर्ण मिथिला क्षेत्र के लोगों के लिए ये गौरव का विषय है। पंडित गंगाधर पाठक विद्वाण हैं और वैदिक कर्म-कांड में इनकी विशेष पकड़ है। पंडित गंगाधर पाठक फिलहाल कान्हा की नगरी वृंदावन में निवास करते हैं। न्यूज ऑफ बिहार को यह जानकारी वृंदावन के रहने वाले पंडित दिवाकर मिश्र ने उपलब्ध करवाया है।

पंडित दिवाकर मिश्र व पंडित गंगाधर पाठक एक दूसरे से भलीभांति परिचित हैं। पंडित गंगाधर पाठक देश के अलग-अलग हिस्सों में अनेक यज्ञ व पूजा पाठ संपन्न करवा चुके हैं लेकिन आज का यह अवसर उनके लिए भी गौरवान्वित करने वाला है।  जब दक्षिणा की बारी आई तो पंडित गंगाधर पाठक ने कहा कि  किसी भी यज्ञ में दक्षिणा आवश्यक होती है।

ऐसे जजमान कहां मिलेंगे हम लोगों को। यज्ञ की पत्नी का नाम दक्षिणा है, यज्ञ रूपी पुरुष और दक्षिणा रूपी पत्नी के संयोग से एक पुत्र की उत्पत्ति होती है, जिसका नाम है फल। पंडित जी ने आगे कहा, दक्षिणा तो इतनी दे दी गई कि अरबों आशीर्वाद इनको प्राप्त होंगे। कुछ समस्याएं हैं भारत में अभी भी, जिनको दूर करने का पीएम ने संकल्प लिया है, 5 अगस्त में सोने में सुगंध हो जाए कुछ और उसमें जुड़ जाए तो भगवान सीता राम की कृपा। इससे पहले भी पंडित जी ने कहा कि उनका सौभाग्य है कि इस तरह के जजमान मिले हैं। उन्होंने कहा कि शायद उनका जन्म ही इसी काम की वजह से हुआ है।

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