महागठबंधन में नहीं सुलझ रहा सीटों का बंटवारा, सियासी संकट के बीच बड़े फुट के आसार

बिहार विधानसभा चुनाव में अब ज्यादा समय नहीं बचा है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां अपना-अपना गठबंधन मजबूत करने में जुटी हुई हैं। लेकिन महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। अबतक महागठबंधन के कई नेता अपनी-अपनी पार्टियां छोड़ जेडीयू में शामिल हो गए हैं। वहीं सीटों के बटवारे को लेकर भी दिक्कत आ रही है।कांग्रेस ने जिला-स्तरीय वर्चुअल रैलियों के साथ अपना चुनावी अभियान शुरू कर दिया है।

लेकिन अबतक सीटों का बटवारा नहीं हुआ है जिसके चलते उन्हें दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। राजद के नेतृत्व वाले महागठबंधन ने अबतक तय नहीं किया है कि किस सीट से किस पार्टी का उम्मीदवार चुनाव लड़ेगा। इसके चलते सहयोगी दलों के बीच बेचैनी पैदा हो गई है।

सूत्रों ने कहा कि राजद और कांग्रेस के बीच उपेंद्र कुशवाहा की अगुवाई वाली आरएलएसपी और मुकेश साहनी की अगुवाई वाली विकास-शील इंसां पार्टी (वीआईपी) जैसे छोटे दलों को समायोजित करने के लिए सहमति नहीं बन रही है।

कांग्रेस के सूत्रों के अनुसार, आरजेडी छोटी पार्टियों को ज्यादा सीट देने की इच्छुक नहीं है। आरजेडी ने कांग्रेस नेतृत्व को यह तक ​​कह है कि ये छोटे दल आरजेडी और कांग्रेस के चिन्हों पर चुनाव लड़ सकते हैं। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि वे आरजेडी के दृष्टिकोण को समझते हैं कि ये दल अपने जाति के वोटों का पूर्ण हस्तांतरण सुनिश्चित नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन उनका मानना ​​है कि इस बात का पूरा प्रयास करना होगा कि एनडीए विरोधी और सत्ता विरोधी वोटों का विभाजन ना हो।

कांग्रेस के एक नेता ने कहा कि हमारे नेता कहते रहते हैं कि कांग्रेस 70 से अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन सीटों को लेकर अबतक कोई स्पष्टता नहीं है। वर्चुअल रैली ठीक है, लेकिन पहला मुद्दा यह है कि गठबंधन पर स्पष्टता होनी चाहिए, किस सीट से कौन का उम्मीदवार लड़ेगा यह स्पष्ट होना चाहिए, किस दल को कितनी सीट मिलेंगी इन सब बातों पर पहले ध्यान दिया जाना चाहिए।

आरजेडी के वरिष्ठ नेताओं ने कहा कि आरजेडी, कांग्रेस और भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन के बीच व्यापक सहमति है। लेकिन इसमें आरएलएसपी और वीआईपी को शामिल किया जाना बाकी है।

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *