महागठबंधन में महाभारत, नीतीश की पार्टी में वापस लौटेंगे जीतन राम मांझी

Exclusive: ‘CM नीतीश कुमार से बढ़ाऊंगा मुलाकात’, बोले पूर्व CM जीतन राम मांझी

बिहार में चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई हैं। दोनों मुख्‍य गठबंधनों (एनडीए व महागठबंधन) के छोटे दल परेशान हैं। एनडीए के घटक दल एलजेपी की नाराजगी जहां मामूली बयानबाजी तक सीमित दिखाई दे रही है, वहीं महागठबंधन के साथी जीतन राम मांझी (हिंदुस्‍तानी अवाम मोर्चा अध्‍यक्ष) ने खुल कर विद्रोही तेवर अपना रखा है। कांग्रेस मध्‍यस्‍थता की कोशिश में है और मांझी ने अपने ‘आखिरी निर्णय’ के लिए कुछ और दिनों की मोहलत दी है। हालांकि, वह इसे महागठबंधन को ‘ट्रैक पर लाने की कोशिश’ बताते हैं।

मांझी नेे जनसत्ता से बातचीत में कहा कि वह कांग्रेस को सलाह दे चुके हैं कि आप गठबंधन से निकलिए, अलग नेतृत्‍व करिए, हम सब साथ आएंगे। साथ ही, नीतीश खेमे में जाने की अटकलों के बीच उन्‍होंने कहा कि बिहार के मुख्‍यमंत्री के नाते नीतीश कुमार से उनकी मुलाकात हुई है और आगे भी होती रहेगी। पढ़िए मांझी से हुई बातचीत

गठबंधन में एक पार्टी की सुपरमैसी हो सकती है, पर सब कुछ उन्हीं के कहने से हो जाए, वैसा नहीं होना चाहिए। ये लोकतांत्रिक सेटअप नहीं है। इसलिए हम 2019 से ही मांग कर रहे हैं कि महागठबंधन में सबको मिला कर कोऑर्डिनेशन कमेटी बननी चाहिए। उसी के विचारोपरांत ही निर्णय (राजनीतिक या अन्य) लिए जाने चाहिए। लेकिन RJD के लोग कहते हैं कि वे जो तय करते हैं वही गठबंधन को मानना चाहिए। अगर लोग उनकी नहीं मानते हैं, तो जहां मन है जाएं। हमारा कहना है कि गठबंधन है तो मिलकर फैसला लेना चाहिए। इसलिए ये कहना कि हमारी गतिविधि अन्यथा है, सही नहीं है। हम सही ट्रैक पर लाना चाहते हैं कि लोग लोकतांत्रिक ढर्रे पर चलें। हम राइट ट्रैक पर गठबंधन को लेकर जाना चाहते हैं।

अखबारों में बात आई है। एक-एक आदमी से आप पूछिएगा। सबने कहा कि अमुक आदमी ने कहा कि यहीं पर सब कुछ है। एक आदमी सर्वेसर्वा है। उन्होंने जो कहा, जो निर्णय लिया, दैट इज़ ऑल (वही सब कुछ है)। इसी चीज को अगर गठबंधन के लोगों को मानना है तो मानें, नहीं तो बाहर जाएं। रास्ता लें। यही कारण है कि उपेंद्र कुशवाहा जी हों या साहनी साहब हों या कांग्रेस हों या फिर हम (HAM) हों, सब लोग एक ही बात कर रहे हैं कि आपस में तालमेल बैठे। कॉर्डिनेशन कमेटी बने और उसके बाद कोई निर्णय हो। किस आदमी ने कहा है? हम अभी आपसे नहीं बोलेंगे। बिहार की राजनीति में रुचि रखने वाले हर व्यक्ति को मालूम है कि किसने ऐसा कहा है।

25 जून तक हमारा टारगेट था, लेकिन इस बीच कांग्रेस के लोगों ने दखल दी। दिल्ली में हमारी उनसे बात हुई। उन्होंने एक सप्ताह का वक्त मांगा। 1 जुलाई को वह समय समाप्त हो गया। दूसरी जुलाई को हमारी बात हुई, तो शक्ति सिंह गोहिल का कहना था कि वह आएंगे और बात करेंगे। इधर आपने सुना होगा कि दो दिन पहले आए हैं और वार्ता का दौर चल रहा था। लेकिन इसी बीच, आज (10 जुलाई) से पटना में पुनः लॉकडाउन हो गया, इस पर उनका कहना था कि 16 जुलाई के बाद सब बात करेंगे। 15 से 20 (जुलाई) तक हम पुनः कांग्रेस की मध्यस्थता की आस लगाकर बैठे हैं। हम ये चाहते हैं- कोई आदमी ये न कहे कि महागठबंधन अमुक आदमी के चलते टूटा है। वो कहे कि लाचारी अगर हुई है या अमुक दल के आदमी बाहर गए हैं। इसी क्रम में जब कांग्रेसी सामने आए हैं, तब उन्हें भी मौका दे रहे हैं। दो मौके तो हो गए, तीसरा मौका 15-20 तक है। ये भी देते हैं। इसके बाद अगर नहीं होगा तो फिर 21 तारीख के बाद नई रणनीति के तहत काम करेंगे।

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