मुस्लिम शख्स ने बचाई 30 से ज्यादा जाने, हड्डियां जलकर कोयला हो गईं, फिर भी लोगों को बचाता रहा जावेद

एजाज नगर गौटिया की चांद मस्जिद गली के नुक्कड़ पर लगा पत्थर बताता है कि ये रास्ता मेरठ विक्टोरिया पार्क के अग्निकांड में 32 लोगों की जान बचाकर अपनी जा गंवाने वाले शहीद जावेद के घर की ओर जाता है। यह न केवल हमें गर्व का अहसास कराता है बल्कि बताता है कि शहर के एक बेटे ने दुनिया में मिसाल कायम कर दी।

दुख सिर्फ इस बात का है कि जिस जावेद ने तमाम लोगों को नई जिंदगी दी, उसका सम्मान एक अदद पत्थर तक सिमटकर रह गया। वो रास्ता बीते 14 सालों में न जाने कहां गुम हो गया, जो शहादत के सम्मान शौर्य चक्र की ओर जाता था।

आपने मेरठ के विक्टोरिया पार्क अग्निकांड का नाम सुना होगा, उसमे एक लड़का था जावेद। जो अपनी जान की परवाह किये बगैर आग में कूद गया था। उसे आग नहीं दीख रही थी उसे किसी का सम्प्रदाय नहीं दीख रहा था, बल्कि उसे मासूम बच्चों की चीखें सुनाई दे रहीं थी, उसे औरतों की भयानक चीखें सुनाई दे रहीं थी, जावेद उस आग के गोले में घुसा और फंसे हुए लोगो को तबतक निकालता रहा जबतक पूरी तरह से जल न गया, दो दिन बाद उसने अस्पताल में दम तोडा, लेकिन देश को एक खूबसूरत सन्देश दे गया।

इसी महीने विक्टोरिया पार्क के उस भीषण अग्निकांड को 14 वर्ष हो चुके हैं। इतने साल बाद भी हम जावेद को याद रखते हैं तो सिर्फ इसलिए क्योंकि, वो जांबाज़ था, जो दूसरों की जान बचाने के चक्कर में अपनी जान बचाना भूल गया था वरना रोजाना दुनिया में हजारों लोग मरते हैं कोई किसी को याद नहीं रखता।

यूं तो शहादत का कोई मोल नहीं होता, लेकिन सम्मान की हकदार जरूर होती है। एजाज नगर गौटिया के शहीद जावेद का परिवार बीते 14 साल से सम्मान के इसी हक की लड़ाई लड़ रहा है। जावेद की शहादत के वक्त केंद्र और राज्य सरकारों ने एलान किया कि उसे शौर्य चक्र से नवाजेंगे।

जावेद के पिता मिजाज अहमद बताते हैं कि घटना के कुछ दिन बाद ही तत्कालीन केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जयसवाल ने फोन करके बच्चों को नौकरी दिलाने और शौर्य पुरस्कार के लिए जावेद के नाम का चयन होने की जानकारी दी थी। वो दिन, सम्मान का इंतजार करते-करते 14 साल बीत गये हैं, लेकिन सरकारें अपना वादा भूल गईं।

जावेद के पिता कहते हैं कि तत्कालीन डीएम संतोष कुमार ने जावेद के नाम का उनकी गली में पत्थर लगवा दिया। पूर्व डीआइजी देव कुमार एंटनी ने भी शौर्य सम्मान के लिए शासन को कई बार खत लिखा लेकिन, शहर के जनप्रतिनिधियों ने कभी कोई कोशिश नहीं की।

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