मोदी समर्थक ने लोगों को पटाखा फोड़ने से किया मना, लोगों ने कांग्रेसी कहकर किया ट्रोल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कहने पर पूरे देश में जहां लोगों ने दीप जलाकर एकता का संदेश दिया। वहीं कुछ ऐसे भी लोग थे जिन्होंने इस आयोजन को उत्सव में बदल दिया। कहीं पर लोगों ने जमकर पटाखे छोड़े तो कहीं पर जमकर फुल झरिया चलाई गई। कुछ लोगों ने इसका समर्थन किया तो कुछ लोगों ने सोशल मीडिया पर इसका विरोध किया।

इसी बीच आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि जब एक मोदी समर्थक ने सोशल मीडिया पर यह लिखा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को एक दीप जलाने का आवाहन किया था ना कि उत्सव मनाने को कहा था। इनकी मानें तो देश की जनता के पास अभी खाने के लिए सरसों तेल उपलब्ध नहीं है वहीं कुछ लोग जमकर दिए जला रहे हैं। गुवाहाटी के पवन कुमार झा ने जब यह पोस्ट फेसबुक पर डाला तो उनके अपने ही जान पहचान के दोस्त यह कहने लगे कि तुम कांग्रेसी हो। राहुल गांधी के समर्थक हो। घर मे बैठकर ndtv देखो।

मौ’तों पर पटाखे जल रहे है जियोह शेरा, पूरा देश मातम पर मना रहा जश्न : आज एक बार फिर हम लोगों ने साबित कर दिया कि हम #जाहिल हैं, बुरा लगेगा लेकिन हमने आज एक बार फिर अपने #जाहिलपन को साबित किया है। प्रधानमंत्री Narendra Modi ने अपील की थी की देशवासियों को एकजुटता दिखाने के लिए और रोशनी की ताकत दिखाने का ये अवसर है लेकिन ज्यादातर लोगों ने इसको #दीपावली का उत्सव ही मान लिया। खूब जमकर आतिशबाजी की। पटाखे फोड़े गए…

इन पटाखों की गूंज को सुनकर हमारे घर के बच्चों ने भी जिद करनी शुरू कर दी की हमें भी पटाखे फोड़ना है। मैं पूछता हूं कि क्या ये उत्सव मनाने का अवसर था? आज देश में हजारों लोग कोरोना से संक्रमित हैं, अभी तो कोरोना की जांच करने का हमारे पास पर्याप्त मात्रा में संसाधन उपलब्ध नहीं है नहीं तो ये आंकड़ा कहां चला जाएगा ये किसी को मालूम नहीं लेकेिन हमें तो उत्सव मनाने का अवसर चाहिए..

.कौन कहता है कि #तबलीगी_जमात के लोग ही जाहिल है, आज जिन लोगों ने आतिशबाजी की, पटाखे फोड़े वे सभी लोग निहायत ही जाहिल है। माननीय प्रधानमंत्र नरेंद्र मोदी जी कहते कुछ हैं और उनके कहने का तात्पर्य हम लोग अति उत्साह में आकर कुछ और ही निकाल लेते हैं। प्रधानमंत्री जी ने ये कहा था कि कोरोना के खिलाफ इस जंग में हमें देशवासियों की एकजुटता को दिखाना था लेकिन कुछ लोगों ने इसको दीपावली समझ लिया, काहे की दीपावली है भाई?

अपने देश के बहुत सारे लोग अन्न के दानों के लिए तरश रहे हैं, बहुत सारे लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में फंसे हुए हैं और दो वक्त की रोटी के लिए मोहताज हैं। प्राइवेट सेक्टर में काम करने वाले लोगों की सैलरी नहीं मिल पाई है। सब्जी में डालने के लिए तेल नहीं, नमक नहीं…फिर किस बात की दीपावली?#जमात की सोच को सहमति देने वाले जो लोग हैं वो किसी भी धर्म के हो सकते हैं, जिन लोगों ने आज राषट्रीय एकजुटता दिखाने के इस अवसर को दीपावली के उत्सव के तौर पर मनाया है वे सभी लोग धिक्कार के पात्र हैं। अगर आपको ये एहसास नहीं है कि ये वक्त राष्ट्रीय संकट का है और ये उल्लास या उत्सव मनाने का नहीं है तो फिर आपको कोई समझा नहीं सकता है।

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