लालू के पास दारोगा की नौकरी के लिए पैरवी कराने पहुंचा बेरोजगार युवक, राजद सुप्रीमो ने उसे बनाया MLA

ये किस्सा है 1994 का. लालू प्रसाद यादव उस दौर में बिहार के सीएम हुआ करते थें. बिहार पुलिस में दारोगा की भर्ती निकली हुई थी. बिहार के औरंगाबाद जिले का रहने वाला एक युवक भी दारोगा बनना चाहता था. पैरवी के लिए वह पहुंच गया लालू के दरबार में. युवक का नाम था सुरेश पासवान. उसने कहा कि सर दारोगा बनवा दिजिए. लालू ने हंस कर कहा कि थाने का दारोगा बनकर क्या करोगे, तुमको हम बिहार का दारोगा बना देंगे. संपर्क में रहना. आते जाते रहना. लालू ने ये बात गंभीरता से कही थी या हंसी मजाक में, ये उस वक्त कोई नहीं समझ सका.

सुरेश पासवान की पैरवी लालू ने नहीं सुनी तो वो थोड़ा निराश होकर लालू दरबार से वापस चला गया. फिर आया वर्ष 1995. बिहार विधानसभा चुनाव का बिगुल बज गया. लालू प्रसाद यादव उम्मीदवारों के चयन के लिए इंटरव्यू चल रहा था. सुरेश पासवान भी पहुंच गए. लालू से मिलें तो लालू ने कहा कि तुम ही आए थे न जी दारोगा में पैरवी के लिए तो सुरेश ने कहां, हां पर अब हम चुनाव लड़ेंगे आपकी पार्टी से.

लालू प्रसाद ने कहा कि चुनाव कैसे लड़ोगे, पैसा है तुम्हारे पास क्या ? चुनाव में खर्च बहुत होता है. फिर लालू ने दूसरा सवाल पूछा कि तुम को वोट देगा कौन ? सुरेश पासवान ने कहा कि सर, पैसा तो नहीं है मेरे पास और रही बात वोट की तो हमको कौन वोट देगा, वोट तो आपके नाम पर मिलता है. लालू ने सुरेश को कोई जवाब नहीं दिए.

जब अगले दिन अखबार आया तो उसमें राजद उम्मीदवारों की सूची में सुरेश पासवान का नाम देव सुरक्षित विधानसभा सीट के उम्मीदवार के तौर पर दर्ज था. सुरेश की खुशी का ठिकाना नहीं रहा. लालू ने सुरेश को चुनाव लड़ने के लिए डेढ़ लाख रुपया भी दिया. सुरेश चुनाव जीत गए. सरकार बनने पर सुरेश को राबड़ी सरकार में मंत्री भी बना दिया गया.

सुरेश पासवान भी लालू के दिए हुए पैसों में से 25 हजार रुपये बच गए थें तो वो इन्हें वापस करने लालू के पास चले गए. लालू ने कहा कि ये तुम्हारे हिस्से का पैसा है, रख लो भविष्य में काम आएगा.

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