हम के दावे वाली सीटों से भाजपा की मुश्किलें; जदयू बोला-मांझी सफल नेता, कम आंकना भूल

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PATNA : हम सेक्युलर की दावेदारी वाली सीटों से एनडीए में शामिल मुख्य पार्टी भाजपा की मुश्किलें बढ़ने के आसार जताए जाने लगे हैं। पहले ही राजद से जदयू में शामिल हुए विधायकों की सीटों पर प्रदेश भाजपा अपनी आपत्ति दर्ज करा चुकी है। अगला विधानसभा चुनाव जीतने के लिए हर दल अपनी तरफ से पुरजोर कोशिश कर रहा है। इसके लिए हर दांव आजमाया जा रहा है। दूसरे दल के मजबूत नेताओं को अपनी ओर करने की हर कोशिश हाे रही है। पर, इस कवायद में विनेबुल उम्मीदवारों के लोभ में सहयोगी दल की परेशानी को नजरअंदाज किया जा रहा है। हम सेक्युलर के नेता जीतनराम मांझी जदयू के पार्टनर के रूप में एनडीए के लिए काम करने की बात कर चुके हैं। उन्होंने वैसे तो कहा है कि सीट कोई मुद्दा नहीं है। सीट को लेकर कोई शर्त नहीं है, पर पार्टी नेता 7-8 सीटों पर अपनी मजबूत दावेदारी मान रहे हैं। हम सेक्युलर के नेताओं की मानें तो उनकी संभावित 7 सीटें और जदयू में राजद से आए 7 विधायकों की सीटें यानी कुल 14 सीटों में से कम से कम 10 पर भाजपा और लोजपा से अनबन की नौबत आ सकती है। सबसे दिलचस्प टेकारी सीट है, जहां हम सेक्युलर की दावेदारी से जदयू विधायक की ही पेशानी पर बल आ गया है।

जदयू ने अपने पुराने साथी जीतनराम मांझी की खूब तारीफ की है; उनके एनडीए में वापसी का जोरदार स्वागत किया है। पार्टी ने यहां तक कहा कि इनके जैसे कामयाब नेता को कम कर नहीं आंका जा सकता है और यह भी कि उनके आने से एनडीए के सभी घटकों को फायदा होगा। मांझी की एनडीए में इंट्री को ले लोजपा की नाराजगी की खबरों के बीच, तारीफ की इन लाइनों के कई मायने निकाले जा रहे हैं। ये स्वाभाविक भी हैं। मंगलवार को उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने भी मांझी का पुरजोर स्वागत किया था। बहरहाल, प्रदेश जदयू के मुख्य प्रवक्ता संजय सिंह ने कहा कि जीतनराम मांझी, चुनावी राजनीति में कामयाबी की हर जरूरी शर्त को हर स्तर पर पूरा करने वालों में से हैं। राजनीति में हर कोई नीतीश कुमार के साथ रहना चाहता है। थोड़ी देर के लिए भले कहीं चला जाए, लेकिन जब उन्हें यह समझ में आता है कि नीतीश कुमार की दृष्टि व दर्शन दोनों साफ है; वे सिर्फ विकास की राजनीति करते हैं, तो वापस लौट आता है।

जीतनराम मांझी अपने समाज व प्रदेश के बड़े नेता हैं। उनके एनडीए में आने से बिहार की राजनीति पर असर पड़ेगा। एनडीए का सामाजिक समीकरण और मजबूत होगा, महादलित समुदाय का विश्वास एनडीए पर और बढ़ेगा। उन्होंने सही वक्त पर उस महागठबंधन को छोड़ने का निर्णय लिया, जो अबकी चुनाव में डूबने वाला है। राज्यहित में उनके इस निर्णय को जनता कभी नहीं भूलेगी। वे जदयू के पुराने साथी रहे हैं। नीतीश कुमार ने उनके ऊपर सबसे ज्यादा भरोसा किया है। उनको 2014 में मुख्यमंत्री पद की जिम्मेदारी सौंपी। वे कामयाब नेता है। उनको कम करके नहीं आंका जा सकता। उनसे एनडीए के सभी घटक दल मजबूत होंगे। नीतीश कुमार देश के पहले ऐसे गैर दलित नेता हैं, जिन्होंने दलितों के कल्याण के लिए कई योजनाएं चलाईं। सबके सुनहरे नतीजे सामने हैं। देश में नीतीश कुमार से बड़ा दलित प्रेमी नेता नहीं है।

जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि जीतन राम मांझी के एनडीए में आने से गठबंधन को लाभ होगा। उन्होंने सही समय पर बहुत अच्छा निर्णय किया। वे एनडीए के पुराने साथी रहे हैं। उनके आने से एनडीए और मजबूत हुआ है। वे वरिष्ठ नेता हैं। हम उनका भरपूर स्वागत करते हैं।

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