दिल्ली-मुम्बई में फंसा 10,00000 गरीब बिहारी मजदूर, घर वापस लौटने पर 14 दिन रहेगा खतरनाक
कोरोना, संक्रमण और मौत के काउंटडाउन के बीच अपने परिवार से सैकड़ों किलोमीटर दूर बिहार के 10 लाख से अधिक लोग फंसे हुए हैं। पूर्ण लॉकडाउन में जब बस-ट्रेन-फ्लाइट सब बंद है, तो हजारों लोग पैदल ही बिहार के अपने गांव-शहरों की तरफ निकल पड़े हैं। इनमें अधिकतर दिल्ली और यूपी के हैं तो कुछ राजस्थान और गुजरात के भी। किसी को 300 किमी चलना है तो किसी को 1500, रोजी रोटी का संकट सिर पर है। नंगे पैर, भूखे प्यासे समूहों के समूह इस आस में चले आ रहे हैं कि वे किसी भी तरह अपने घर पहुंच जाएं। गाजियाबाद में ऐसे ही कुछ मजदूरों कहते हैं – अगर हम यहीं रुके रहे तो कोरोना से पहले भूख से मर जाएंगे। …और अगर मरना ही है तो अपनी धरती पर अपने परिवार के बीच मरना अच्छा है। कम से कम हमारी लाश को कंधा देना वाला तो कोई होगा। आखिरी बार अपने प्रियजनों का चेहरा तो देख पाएंगे। हमें पता है आने वाले समय में सारी फैक्ट्रियां सब कुछ बंद होगा। हमें काम और पैसा भी नहीं मिलेगा।
दूसरे राज्यों में 40 लाख से अधिक बिहारी काम करते हैं। इनमें काफी संख्या में वहीं बस गए हैं। जिन्हें लौटने की जरूरत नहीं पड़ती। विभिन्न राज्यों के श्रम संगठनों की माने तो अभी 10 लाख से अधिक लोग बिहार लौटना चाहते हैं।
पटना | महानगरों और कोरोना से ज्यादा संक्रमित शहरों में रह रहे बिहार के लोगों के वापस आने पर बिहार में स्थिति नियंत्रण से बाहर हो सकती है। चिकित्सा विशेषज्ञ इस खतरे को भांपते हुए सरकारी तंत्र को युद्ध स्तर पर काम करने के सुझाव दे रहे हैं। पीएमसीएच के सीनियर पल्मोनोलॉजिस्ट डॉ. बीके चौधरी बोले-जो लोग बाहर से अा रहे हैं यदि उनमें एक भी पॉजिटिव होगा तो वह 110 लोगों को संक्रमित करेगा। परिवार के साथ इन्हें कतई नहीं रहने देना चाहिए। इन्हें गांव के अासपास किसी स्कूल या काॅलेज में ठहरा देना चाहिए। कोरोना के स्टेट नोडल अाफिसर डॉ. मदनपाल सिंह भी दोहरा रहे कि अन्य राज्यों से बिहार अाने वाले लोगों को 14 दिन के लिए क्वारेंटाइन रखना जरूरी है। भास्कर के सवाल पर उन्होंने सलाह दी कि पुलिस या मुखिया की निगरानी में स्कूल या कॉलेज में इनकी रहने खाने व्यवस्था होनी चाहिए।
लौटे तो 14 दिन परिवार से मिलना खतरनाकपीएमसीएच के वरीय सांस रोग विशेषज्ञ डॉ. अशोक शंकर सिंह कहते हैं कि अन्य राज्य से जो लोग अभी अा रहे हैं यदि वे पॉजिटिव हैं तो यहां के लोगों को संक्रमित करेंगे। अगर उनमेंे बीमारी का लक्षण नहीं है तो भी इन्हें गांव के अासपास ही 14 दिन तक क्वारेंटाइन में रखना होगा। संक्रमण रोकने में यही एक मात्र उपाय है।