शहीद जवान की बहन की शादी में बिहार पहुंचा 100 कमांडो, कहा- चिंता न करो हम तुम्हारे भाई हैं

दुल्हन को शहीद भाई की कमी महसूस ना हो इसलिए शादी में पहुंचे 100 कमांडो, इस अंदाज़ में दी विदाई : बिहार में गत 3 जून को एक ऐतिहासिक विवाह समारोह हुआ,ऐसा विवाह समारोह,जो आज से पहले कभी नहीं हुआ,यह ऐसा विवाह समारोह था, जिसमें दुल्हन को अपने शहीद इकलौते भाई की कमी नहीं महसूस हुई,शहीद के एक,दो नहीं, बल्कि 100 साथी जवान इस विवाह समारोह का हिस्सा बने और उन्होंने ऐसा कारनामा किया,जिसे न केवल बहन की आँखें भर आईं, बल्कि पूरी दुनिया दंग रह गई.

सोशल मीडिया पर भी शशिकला निराला की शादी के ख़ूब चर्चे हो रहे हैं और वीडियो भी वायरल हो रहे हैं, जिसमें भारतीय सेना के 100 गरुड़ कमांडो शामिल थे,इन कमांडो के पहुँचने से शशिकला की शादी शाही शादी बन गई,शशिकला को अपने इकलौते भाई ज्योति प्रकाश निराला की कमी महसूस नहीं हुई,क्योंकि इन 100 गरुड़ कमांडो ने ने नई-नवेली दुल्हन को सगी बहन की तरह विदाई दी.

इन कमांडो ने न केवल शशिकला की शादी का पूरा जिम्मा उठाया, बल्कि धूमधाम से उनकी शादी कराई.यहाँ तक कि विदाई की मंगल घड़ी आई, तब इन 100 गरुड़ कमांडो ने दुल्हन को ज़मीन पर पैर नहीं रखने दिए.दुल्हन के हर कदम पर इन 100 गरुड़ कमांडो ने अपने हाथ बिछा दिए.शहीद ज्योति प्रकाश निराला के साथी 100 गरुड़ कमांडो ने जिस तरह शशिकला के विवाह को उल्लास और उमंग से भर दिया, उससे पिता तेजनारायण सिंह की आँखें भर आईं,उन्होंने बेटी शशिकला के विवाह को अपने जीवन का सबसे स्मरणीय क्षण बताया और कहा कि बेटे ज्योति के साथियों ने शशिकला को इकलौते भाई की कमी महसूस नहीं होने दी.

वायुसेना के शहीद जवान ज्योति प्रकाश निराला अपने घर के इकलौते बेटे थे. साथ ही अपने परिवार में वे इकलौते कमाने वाले भी थे. बिहार के रोहतास जिले के रहने वाले ज्योति के शहीद होने के बाद परिवार को आर्थिक संकट का भी सामना करना पड़ा. ऐसे में जब बहन शशिकला की शादी की बात आई तो यह एक बड़ी चुनौती थी.

लेकिन ऐन वक्त पर ज्योति प्रकाश निराला के रेजीमेंट के साथी शादी के समय पहुंचे और न सिर्फ बहन का विवाह समारोह संपन्न कराया, बल्कि 5 लाख रुपए की आर्थिक मदद भी की. यही वजह रही कि शशिकला की विदाई के बाद ज्योति प्रकाश के घरवालों की आंखें नम हो आईं. ज्योति के माता-पिता ने कहा- हमने एक बेटा खो दिया, लेकिन इसके बदले आज हमें इतने सरे बेटे मिल गए. इन बेटों ने साबित कर दिया कि सैनिक के शहीद हो जाने के बाद भी उसका परिवार अकेला नहीं होता, बल्कि पूरा देश उसके साथ होता है

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