बिहार में कोर्ट का अजीब फैसला, मैट्रिक में 77% अंक लाने पर किशोर रिहा, पढ़ाई का खर्च उठाएंगे जज

किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्र अपने फैसलों के लिए जाने जाते हैं। इनके कई अहम फैसले आज भी चर्चा के विषय बनते हैं। इसी कड़ी में एक बार फिर किशोर की प्रतिभा को देखकर जज ने न सिर्फ उसे रिहा किया, बल्कि उसकी पढ़ाई का खर्च वहन का भी जिम्मा लिया। इंटर की पढ़ाई का पूरा खर्च जज उठाएंगे। मैट्रिक परीक्षा में 77 फीसद अंक लाने पर बालक को रिहा कर दिया। मामले की सुनवाई व फैसला वर्चुअल माध्यम से किया गया। मारपीट मामले में किशोर आरोपित था। पढ़ाई को लेकर कोर्ट ने उसे जमानत दी थी।

जज मानवेंद्र मिश्र ने जिला बाल संरक्षण इकाई को पश्चातवर्ती देखभाल योजना का लाभ दिलाने व परिजनों को सरकारी सहायता पहुंचाने के लिए संबंधित बीडीओ को आदेश दिया है। आरोपित किशोर महादलित परिवार से है। किशोर के परिवार की आर्थिक स्थिति अत्यंत दयनीय है। किशोर की सात बहनें व दो भाई हैं। किशोर के पिता विक्षिप्त हैं और मां अक्सर बीमार रहती है।

ऐसे में इस मेधावी छात्र ने कोर्ट में आवेदन देकर आगे की पढ़ाई करने की इच्छा जाहिर की थी। इसके मद्देनजर जज ने दीपनगर थाना से इसके परिवार से संबंधित सारी रिपोर्ट मंगवायी। छात्र की कही बातें सही पाये जाने पर जज ने बालक की रिहाई करते हुए इंटर की पढ़ाई का खर्च खुद उठाने का जिम्मा लिया। बालक ने कोचिंग करने की इच्छा भी जतायी थी। इसे मानते हुए कोचिंग का खर्च भी उठाने का जिम्मा लिया।

वर्ष 2019 में जब मामला किशोर न्याय परिषद के समक्ष आया, तो पूछताछ के दौरान किशोर ने जज मानवेंद्र मिश्र से आगे की पढ़ाई के वास्ते जमानत देने की अर्जी दी। उस वक्त किशोर ने कोर्ट के समक्ष मैट्रिक परीक्षा में अच्छे अंक लाने का वादा किया था। इसमें बालक ने कहा था कि अच्छा अंक नहीं लाने पर जमानत रद्द करते हुए मुझे कोर्ट का हर फैसला स्वीकार होगा। बालक ने 77 प्रतिशत अंक लाकर न सिर्फ अपने वचन को निभाया, बल्कि अन्य किशोरों के लिए एक प्रेरणा भी बन गया।

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