1969 में दिल्ली-कोलकाता के बीच शुरू हुआ राजधानी एक्स का परिचालन, बिहार में कहीं नहीं था स्टापेज

भारत में राजधानी एक्सप्रेस की शुरुआत 1969 में हुई. दिल्ली से हावड़ा ट्रेन चलने लगी. 17 डब्बे की ट्रेन, 17 घंटे की यात्रा. दिल्ली से ट्रेन चलकर कानपुर 15 मिनट रूकती थी, मुगलसराय दस मिनट, गोमो में बस स्टाफ चेंज करने के लिए पांच मिनट, फिर सीधे हावड़ा.

यानी बिहार में कहीं स्टॉपेज नहीं.बिहारी भकुआ के देखते थे ट्रेन को. राजधानी को देखने के लिए रोज रेलवेलाइन तक भी पहुंचते थे लोग. गरदा उड़ाते हुए आती-जाती थी. ढेर दिन तो देखादेखी का ट्रेन बना रहा राजधानी बिहारियों के लिए. बिहारियों को लगा कि ई कईसा ट्रेन है कि जाता तो हमरे तरफ से बाकि पूरा राज्य में कहीं रूकता नहीं. लोग नेता को खोजने लगे जो आवाज उठाये.

केक काटा गया : इस ट्रेन के यात्रा पर रवाना होने से पहले केक काटा गया और एक विशेष डाक टिकट जारी किया गया। ईआर के महाप्रबंधक हरींद्र राव समेत वरिष्ठ अधिकारी प्लेटफॉर्म नंबर नौ पर मौजूद थे जो शुरुआत से लेकर अब तक राजधानी एक्सप्रेस का प्लेटफॉर्म रहा है।

लजीज व्यंजन परोसे : आईआरसीटीसी (पूर्व) के महाप्रबंधक देबाशीष चंद्रा ने कहा कि ट्रेन की स्वर्ण जयंती पर यात्रियों को फिश फ्राई या वेजीटेबल कटलेट और रसगुल्ला जैसे पुराने लजीज व्यंजन परोसे गए। इसके अलावा मीठे में आइसक्रीम भी दी गई। राजधानी देश की पहली ट्रेन थी जिसके किराये में भोजन का शुल्क भी शामिल था।

यात्रियों को नैपिकन बांटे : भारतीय रेलवे के एक अधिकारी ने बताया कि यात्रियों को राजधानी एक्सप्रेस के 50 साल लिखे नए लिनेन और उपयोग करके फेंकने लायक नैपिकन बांटे। ट्रेन में ड्यूटी पर तैनात रेलवे कर्मचारियों ने कोलकाता राजधानी एक्सप्रेस के गौरवशाली 50 वर्षों के जश्न के संदेश वाले बैज पहने।

नौ कोच के साथ यात्रा शुरू की : आज ही दिन 1969 में राजधानी एक्सप्रेस ने नौ कोच के साथ अपनी यात्रा शुरू की थी। इसमें दो पावर कार, पांच एसी चेयर कार, एक एसी डायनिंग कार और एक एसी प्रथम श्रेणी कोच था। समय बीतने के साथ कुर्सी कारों को बदल दिया गया। अपने विकास की यात्रा पर चलते हुए आज इस ट्रेन के 20 कोच हैं।

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