बिहार चुनाव के नाम पर भाजपा-राजद-जदयू मालामाल, इलेक्टोरल बॉन्ड के जरिए मिला 282 करोड़ का चंदा

नई दिल्ली. इस बार बिहार विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Elections 2020) से पहले राजनीतिक पार्टियों को इलेक्टोरल बॉन्ड (Electoral bonds) के जरिए 282 करोड़ का चंदा मिला. इसके साथ ही इस स्कीम के जरिए पार्टियों को अब तक 6493 करोड़ का चंदा मिल चुका है. चुनावी फंडिंग में पारदर्शिता लाने के लिए सरकार ने साल 2018 में इलेक्टोरल बॉन्ड की शुरुआत की थी. बता दें कि बिहार में इसी महीने एक बार फिर से NDA की सरकार बनी है.

कहां बिके कितने फंड
अंग्रेजी अखबार इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने 19 से 28 अक्टूबर के बीच 279 बॉन्ड बेचे, जिसमें से एक-एक करोड़ के 32 बॉन्ड बिके. अखबार को ये जानकारी राइट टू इनफार्मेशन एक्ट (RTI) के तहत मिली. आंकड़ों के मुताबिक बैंक के मुंबई के मुख्य ब्रांच से 130 करोड़ के बॉन्ड बिके. इसके अलावा नई दिल्ली की शाखा से 11.99 करोड़ के बाॉन्ड बिके. जबकि पटना के ब्रांच से सिर्फ 80 लाख के बॉन्ड बिके. इसके अलावा भुवनेश्वर (67 करोड़), चेन्नई (80 करोड़) और हैदराबाद (90 करोड़) के बाॉन्ड बिके.

अब तक का लेखा-जोखा
अब तक मिले आंकड़ों के मुताबिक साल 2018 से लेकर अब तक राजनीतिक पार्टियों को बॉन्ड के जरिए 6493 करोड़ का चंदा मिला है. साल 2018 में 1,056.73 करोड़ मिले. साल 2019 में ये चंदा बढ़कर 5,071.99 करोड़ पर पहुंच गया. जबकि इस साल अब तक 363.96 करोड़ रुपये के बॉन्ड बिके हैं. रिप्रेजेंटेशन ऑफ द पीपल्स एक्ट (43 ऑफ 1951) के सेक्शन 29A के तहत उन्हीं रजिस्टर्ड पार्टियों को चुनावी बांड के तहत चंदा दिया जा सकता है, जिन्हें लोकसभा या विधानसभा के चुनाव में कम से कम एक फीसदी वोट मिले हों हों.

क्या है ये बॉन्ड?
केंद्र सरकार ने देश के राजनीतिक दलों के चुनावी चंदे को पारदर्शी बनाने के लिए वित्त वर्ष 2017-18 के बजट में चुनावी बांड शुरू करने का ऐलान किया था. चुनावी बॉन्ड खरीदने वालों के नाम गोपनीय रखे जाते हैं. इन बांड्स पर बैंक कोई ब्याज नहीं देता है. कोई भी अपनी पहचान छुपाते हुए स्टेट बैंक ऑफ इंडिया से एक करोड़ रुपए तक मूल्य के इलेक्टोरल बॉन्ड्स खरीदकर अपनी पसंद के राजनीतिक पार्टी को चंदे के तौर पर दे सकता है.

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