30 साल तक बहन बन दूसरे को बांधती रही राखी, इस बार भाई बनकर छोटी बहन से खुद बंधवाएंगे राखी

सौम्या इसी साल जेंडर चेंज करवा कर समीर बने हैं। वह कहते हैं सर्जरी के बाद जब डैडी ने जनेऊ करवाया तो लगा मेरा रिबर्थ हुआ है। लकी हूं कि मुझे इतने अच्छे पैरेंट्स मिले। मुझमें जितना एक्साइटमेंट है उतना ही मुझे अपने मम्मी-डैडी की आंखों में नजर आता है। मेरे कई फ्रेंड्स हैं जो इस डिसऑर्डर के शिकार हैं लेकिन उन्हें ऐक्सेप्टेंस नहीं मिला। पर मेरी फैमिली ने मुझे पूरी फ्रीडम दी। डैडी ने खुद रिश्तेदारों को फोन कर बुलाया और मुझे उनसे मिलवाया।

समीर को बचपन से ही लगता था कि वह अलग हैं। लड़की के रूप में हमेशा असहज महसूस करते थे। वह आगे कहते हैं बचपन में किसी और को राखी बांधने का प्रेशर होता था तो अंदर से मन नहीं करता था। तीन साल से ही मुझे फील होने लगा था कि बाकि लड़कियों की तरह मैं नहीं हूं। सोचता था या तो मेरा बॉडी बदल जाए या मैं मर ही जाऊं। मेरी पीड़ा मेरे अलावे कोई नहीं समझ पा रहा था। बुआ के लड़के को हर साल राखी बांधना होता था तो मैं ईश्वर से प्रार्थना करता था कि कल का दिन आए ही नहीं। मुझे ये सब टॉर्चर लगता था। जैसे-जैसे मैं बड़ा होता गया मेरे अंदर रेसिस्टेंस की भावना बढ़ती चली गई। मम्मी पूछती थी कि राखी के दिन सुबह से ही तुम्हारा मूड क्यों अपसेट रहता है। इसका कोई जवाब नहीं होता था मेरे पास।

ऐश्वर्या साउथ फिल्मों में काम करती हैं। इस दिन की तैयारी वह हफ्तों से कर रही हैं। याद करते हुए कहती हैं एक बार राखी के मौके पर हम सब दिल्ली में थे। मैं राखी बांधने के लिए रो रही ती तब पहली बार अपनी बड़ी बहन को राखी बांधी। गिफ्ट में ऑटोमेटिक हेलिकॉप्टर मिला था। दीदी के बॉडी ट्रांसफॉर्मेशन की सारी जानकारी मुझे शुरू से थी। इस दिन का मुझे हमेशा से इंतजार था। बॉडिंग और मजबूत हुई है। मुझे भाई के लिए मेहंदी लगवाना है। स्पेशल ड्रेस भी खरीदा है। स्पेशल फोटोशूट का इरादा भी है। आखिर हो भी क्यों नहीं ये मेरे भाई का पुर्नजन्म जो है।


जो इंपॉसिबल लगता था आज वह पॉसिबल हो गया है। ऐश्वर्या ने मुझे भाई के रूप में भी स्वीकार कर लिया है। मेरा जो हक है वो मुझे मिल रहा है। इस बार ऐश्वर्या को मैं स्पेशल गिफ्ट दूंगा। इस दिन को लेकर उनके मां-पापा बेहद खुश हैं। मां ममता सजल कहती हैं व्यस्तता की वजह से हम बच्चों के पास तो नहीं हैं लेकिन वीडियो कॉल के जरिये हम इस खास पल के साथी बनेंगे।

लेखक : प्रिति सिंह, पत्रकार

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