वैज्ञानिकों को मिला 4 करोड़ 20 लाख साल पुरानी मछली, 4 पैर वाली मेडागास्कर को माना जा रहा विष्णु अवतार

धरती पर विज्ञान की एक बड़ी उपलब्धि है इस मछली की खोज। वैज्ञानिक मान रहे हैं कि ये मछली 4 करोड़ 20 लाख साल पुरानी है। धरती का सबसे पुराना जीव जिसके बारे में आशंका थी कि ये 1938 में लुप्त हो चुकी है लेकिन अब के समुद्र में इसकी उपस्थिति से विज्ञान जगत प्रसन्न है। उन्होंने मनुष्य के इवोल्यूशन की जनक उस मछली को खोज निकाला है जिसके चार पैर हैं।

इस मछली में आज भी चार पैर दिखाई पड़ते हैं। संभवत: इसके ये चार पैर ही इसे धरती पर ले आये और जलचर से थलचर जीवों का विकास हुआ। लेकिन यहां मैं वैज्ञानिक शोध ये थोड़ा अलग जाना चाहता हूं। भारत के पुराणों की ओर।

भारत में पुराण विष्णु के दस अवतार मानते हैं जिसमें पहला मत्स्य अवतार है और दूसरा कूर्म अवतार। मत्स्य मतलब मछली और कूर्म मतलब कछुआ। इन अवतारों से जुड़ी कुछ कहानियां भी हैं। जैसे मनु सतरूपा को बचाने के लिए भगवान विष्णु ने मत्स्य अवतार लिया। इसी तरह कूर्म अवतार में विष्णु ने एक बार फिर कछुए का रूप धारण किया जिस पर एक पहाड़ को स्थापित करके क्षीरसागर का मंथन हुआ।

इन कहानियों में एक मजेदार बात ये है कि स्वयं भगवान विष्णु क्षीरसागर में ही रहते हैं। ये कहानियां हैं और इन कहानियों में एक संकेत है। संकेत ये है कि जीवन का विकास जल से शुरु हुआ। विज्ञान भी यही कहता है कि धरती पर जीवन का विकास जल से शुरु हुआ। मछली वह पहला जीव थी जिसकी शरीर संरचना निर्मित हुई। फिर यही मछली जिसमें से कुछ के चार पैर विकसित हुए वो धरती पर आये। शायद वो कछुआ बना हो जो कि उभयचर है। जल और थल दोनों पर रहता है।

संक्षेप में ये कुछ बातें इसलिए कह रहा हूं कि धर्म को पुराणों की गप माननेवाले लोगों ने सचमुच कहानियों को ही धर्म मान लिया। भारत कहानियों का देश है और यहां गूढ से गूढ विद्या भी अंतत: कहानियां बनाकर समाज को दे दी जाती हैं। ये तो कोई दो सौ साल में साइंस ने लैब और रिसर्च यूनिवर्सिटी का मॉडल विकसित किया है क्योंकि आधुनिक साइंस मार्केट बनाता है। मार्केट बनाने के लिए जरूरी है कि शोध और खोज पर नियंत्रण बनाकर रखा जाए इसलिए साइंटिफिक थ्योरी, इन्वेन्शन ये सब किसी विशेष अधिकार में रहते हैं ताकि वो लाभ कमा सकें। भारत में इसे जनता के बीच कहानियां बनाकर पहुंचाया जाता है। क्योंकि कोई भी उपलब्धि अंतत: समाज की है।

आज के भारत का दुर्भाग्य ये है कि हमनें कहानियां पकड़ ली लेकिन संकेत छोड़ दिये। 84 लाख प्रकार के जीव की खोज के बाद अब इस मछली की खोज एक बार फिर साबित करती है कि पुराणों में मत्स्य अवतार गप्प नहीं है। वो जानते थे कि मछली धरती पर पहला जीव है इसलिए उसे विष्णु का पहला अवतार घोषित किया। लेकिन दुर्भाग्य ये भी है कि आज के भारत को किस्से कहानियों से ऐसा लगाव है कि कोई भी धर्मनिष्ठ व्यक्ति इवोल्यूशन के सिद्धांत को स्वीकार करने को तैयार नहीं होता। अपनी इस मूर्खता पर धर्म का आवरण और चढा देता है। जबकि धर्म कुछ और ही संकेत कर रहा है। (संति)

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